नई दिल्लीः मोदी सरकार ने केंद्र सरकार के उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के काम की समीक्षा करने का निर्देश दिया है जो सरकारी सेवा में 30 साल से ज़्यादा काम कर चुके हैं. कार्मिक मंत्रालय के मुताबिक़ ये एक सतत प्रक्रिया जिसे फिर से अमल में लाने को कहा गया है.
कार्मिक मंत्रालय ने जारी किया सर्कुलर
कार्मिक मंत्रालय ने 28 अगस्त को अभी मंत्रालयों और विभागों को एक सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर में सरकार के उस नियम का हवाला दिया गया है जिसमें लोकहित में सरकार किसी कर्मचारी को समय से पहले ( Premature) रिटायर कर सकती है. रिटायर करने का आधार अक्षमता और भ्रष्ट आचरण को बनाया गया है. सर्कुलर में ऐसे सभी कर्मचारियों के काम की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है जो सरकारी सेवा में अपने 30 साल पूरे कर चुके हैं. इसके अलावा उन सरकारी कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड की भी समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है जिनकी उम्र 55 वर्ष या उससे ज़्यादा हो चुकी है.
ठीक से काम न करने वाले कर्मचारियों को रिटायर करने का सरकार के पास अधिकार है
सर्कुलर में कहा गया है कि इस समीक्षा के पीछे सरकार का मक़सद प्रशासनिक मशीनरी को चुस्त दुरुस्त बनाए रखना है ताकि सरकारी कामकाज में दक्षता और गति बनाए रखी जा सके. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ज़रूरत पड़ने पर किसी कर्मचारी को समय से पहले रिटायर करने का अधिकारी सरकार के पास है. इस सर्कुलर में साफ़ कहा गया है कि केंद्र सरकार की मूल नियमावली ( Fundamental Rules ) 56(J)(1 ) और केंद्रीय लोक सेवा पेंशन नियमावली ( CCS Pension Rule ) 1972 के नियम 48 के तहत सरकार को समय समय पर वैसे कर्मचारियों को रिटायर करने का अधिकार है जो ठीक से काम नहीं कर रहे हों.
2014-2020 के बीच भी किया गया कर्मचारियों को रिटायर
इन नियमों के तहत रिटायर होने वाले कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस या तीन महीने का वेतन देने का प्रावधान है. वैसे इन कर्मचारियों को पेंशन की सुविधा मिलती रहेगी. लोकसभा में दिए गए एक प्रश्न के जवाब में कार्मिक राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा था कि ये एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है. आंकड़ों के हवाले से उन्होंने जानकारी दी थी कि इन नियमों के तहत जुलाई 2014 से जनवरी 2020 तक ग्रुप 'ए' के ऐसे 163 और ग्रुप 'बी' के 157 ऐसे कर्मचारियों को तय समय से पहले रिटायर किया गया.