दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं में मोहल्ला क्लिनिक एक अहम व्यवस्था हैं और अब ये मोहल्ला क्लीनिक बदले हुए से नजर आएंगे. शिपिंग कंटेनर में बनाए जा रहे ये मॉड्यूलर मोहल्ला क्लिनिक पहले से ज़्यादा आकर्षक, मजबूत, सुरक्षित, सुविधाओं से युक्त और पोर्टेबल होंगे. जिन्हें जरूरत पड़ने पर एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकेगा.


अभी तक हमने दिल्ली में पोर्टा केबिन में मोहल्ला क्लिनिक देखे थे लेकिन अब दिल्ली सरकार मोहल्ला क्लीनिक के इस नए मॉडल को टेस्ट कर रही है. दिल्ली के शकूरबस्ती विधान सभा में आने वाले रानी बाग इलाके में पायलट बेसिस यह नया मॉडल तैयार करके लगाया गया है. दो शिपिंग कंटेनर को जोड़कर उन्हें अंदर से ज़रूरत के हिसाब से डिजाइन करके तैयार किया गया है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन के मुताबिक दिल्ली में जगह की दिक्कत थी जिसकी वजह से कंटेनर में यह मोहल्ला क्लीनिक बनाया है.


मोहल्ला क्लिनिक के दो हिस्से हैं


पोर्टा केबिन में 600 स्क्वायर फीट जगह में मोहल्ला क्लिनिक बनता था जबकि कंटेनर में बने मोहल्ला क्लिनिक महज़ 350 स्क्वायर फीट में ही बन जाएंगे. जैसे हवाई जहाज में होता है कि छोटी जगह को बहुत शानदार तरीके से डिजाइन किया जाता है वैसा ही कॉन्सेप्ट इसका है. मोहल्ला क्लिनिक के दो हिस्से हैं जिन्हें दो कंटेनर से बनाया गया है. एक हिस्से में रजिस्ट्रेशन, वेटिंग एरिया और फार्मेसी है जबकि दूसरे हिस्से में डॉक्टर बैठेंगे और टेस्ट के लिए सैम्पल लेने का इंतज़ाम किया गया है.


मोहल्ला क्लिनिक की लागत करीब 20 लाख रुपये है


दिल्ली में अभी करीब 500 मोहल्ला क्लीनिक हैं जिसमें पोर्टा केबिन मॉडल अभी तक ज़्यादा चर्चा में रहा है. जानकारी के मुताबिक पोर्टा केबिन और शिपिंग कंटेनर दोनों ही मोहल्ला क्लिनिक की लागत करीब 20 लाख रुपये है लेकिम पोर्टा केबिन को साइट पर बनाने में करीब 3 महीने लग जाते हैं वहीं शिपिंग कंटेनर का मोहल्ला क्लीनिक फैक्ट्री में तैयार होता है जो 3 से 4 दिन में साइट पर इंस्टाल कर दिया जाता है. पोर्टा केबिन में बने क्लिनिक में चोरी और तोड़फोड़ की शिकायतें आती थीं, ऐसे में ये नए मोहल्ला क्लीनिक लोहे के बने हैं जिनमें चोरी और तोड़फोड़ की घटनाओं को कम किया जा सकेगा. साथ ये मोहल्ला क्लिनिक के कंटेनर्स फैक्टरी से बनकर सीधा लोगों के बीच पहुंचेंगे.


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