नई दिल्लीः दिल्ली में हुए दंगों की दर्दनाक कहानी अब भी देखने को मिल रही है. दंगाग्रस्त इलाकों में हर जगह हिंसा के निशान अब भी देखने को मिल रहे हैं. लेकिन इस बीच चंदू नगर की गली नंबर 5 से एक राहत भरी खबर सामने आ रही है. यहां रहने वाले मोहम्मद हकीम ने अपने छोटे से घर में दंगा पीड़ितों के 10 परिवारों को आसरा दिया है. हैरानी की बात यह है कि मोहम्मद हकीम खुद किराए के घर में रहते हैं. जिस घर में वह रहते हैं, वह महज 40 गज का है और उनके पास केवल पहली मंजिल ही है.


जिस दिन करावल नगर के खजूरी और मुस्तफाबाद में दंगा फैला उस दिन दंगाइयों ने खजूरी खास एक्सटेंशन की गली नंबर 4 और 29 में एक समुदाय के घरों को आग लगा दी. मोहम्मद हकीम और उनकी पत्नी मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं और जो लोग दंगे का शिकार हुए वे सभी कहीं न कहीं इन लोगों के परिचित या फिर रिश्तेदार हैं. जैसे ही इन्हें इसकी भनक लगी तो मोहम्मद हकीम और उनकी पत्नी हिंसा के बीच अपनी जान को जोखिम में डालकर वहां पहुंचे.



उन्होंने पुलिस की मदद से हिंसा का शिकार हुए लोगों को बड़ी मुश्किल से सुरक्षित बाहर निकाला. जो लोग कुछ समय पहले तक अपने घरों में रह रहे थे, हिंसा के कारण अब उनके सर से छत हट चुकी थी. ऐसी सूरत में मोहम्मद हकीम और उनकी पत्नी ने इन सभी को अपने घर में आश्रय दिया.

मैंने कुछ नहीं सोचा और बस अपनी पत्नी के साथ उन सबकी मदद के लिए जुट गया: मोहम्मद हकीम

मोहम्मद हकीम का कहना है कि उनके घर में उन्होंने 10 परिवारों को आश्रय दिया है. जिनमें महिलाएं पुरुष और बच्चे सभी शामिल है. मोहम्मद हकीम ने लगभग 75 लोगों को अपने घर में रखा है. इसके अलावा उन्होंने अपने मकान मालिक से भी मदद मांगी. जिस पर मकान मालिक ने उस घर में रहने वाले दो अन्य किरायेदारों से कुछ दिन के लिए कहीं और जाने को कहा. इसके साथ ही वे दोनों किराएदार भी इसके लिए राजी हो गए. इन सभी लोगों को उस घर में रहने के लिए इजाजत दे दी गई.

मोहम्मद हकीम बताते हैं कि 25 फरवरी को बेहद खौफनाक मंजर था. खजूरी खास एक्सटेंशन की गली नंबर 4 और 29 में सबसे पहले जो पुरुष थे, उन्होंने महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित वहां से निकालने के लिए कहा. उनका कहना है कि उनकी पत्नी अपनी जान पर खेलकर वहां पहुंची और पुलिस की मदद से सभी को बाहर निकाला गया.

मोहम्मद हकीम का कहना है कि उनके पास सीमित संसाधन है लेकिन आसपास रहने वाले लोगों ने भी मदद की और हम लोगों ने एक वक्त का खाना खाकर ही समय बिताया. इतना ही नहीं कुछ बच्चे तो ऐसे भी थे जिनके सारे कपड़े जल गए थे, उन सभी की मदद के लिए आस-पड़ोस के लोगों से बात की गई. इसके बाद महिलाओं, बच्चों और पुरुषों के लिए कपड़े भी उपलब्ध कराए गए. मोहम्मद हकीम का कहना है कि फिलहाल हम लोगों को कुछ एनजीओ मदद उपलब्ध करा रहे हैं.

गली नम्बर 4 और 29 की कहानी

खजूरी खास एक्सटेंशन गली नंबर 4 और 29 में घुसने के बाद यहां का जो दृश्य है, वह अपनी दर्द भरी कहानी खुद बयां करता है. गली में दोनों तरफ कई ऐसे मकान हैं जो जल चुके हैं. कुछ मकानों में पार्किंग भी है, जिसमें अब भी पूरी तरह से जले हुए वाहन खड़े हैं. घरों में घुसने पर एक अलग ही दुर्गंध आती है. सांस लेना भी आसान नहीं है. यह वही गली है जिनमें रहने वाले कुछ लोग अब मोहम्मद हकीम के घर में पनाह ले रहे हैं.

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