(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mohammad Umar Farooq: मीरवाइज उमर फारूक ने जामिया मस्जिद में अदा की जुमे की नमाज, पांच महीने बाद मिली मंजूरी
Mohammad Umar Farooq News: जम्मू कश्मीर में वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिए जाने के बाद मीरवाइज मोहम्मद उमर फारूक को नजरबंद कर दिया गया था. उसके बाद 2023 में नजरबंदी से रिहाई मिली थी.
Mohammad Umar Farooq Friday Prayers: कश्मीर के चर्चित मौलवी एवं हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारवादी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को लगभग पांच महीने बाद शुक्रवार (8 मार्च) को श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज अदा करने की अनुमति दी गयी.
मस्जिद की प्रबंध समिति, अंजुमन औकाफ जामा मस्जिद ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है. मस्जिद प्रबंध समिति ने बताया कि मीरवाइज उमर को अधिकारियों ने सितंबर 2023 में घर की नजरबंदी से रिहाई के बाद चौथी बार और छह अक्टूबर, 2023 के बाद पहली बार जामा मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति दी है. उन्होंने शुक्रवार को मस्जिद में नमाज अदा की है.
धारा 370 निरस्त करने के बाद से नजरबंद
बता दें कि मीरवाइज को अगस्त 2019 को घर में नजरबंद किया गया था जब केंद्र ने अनुच्छेद 370 निरस्त कर दिया था. उन्हें चार वर्ष बाद पिछले वर्ष सितंबर में रिहा किया गया और कुछ हफ्तों के लिए जामिया मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी. हालांकि बाद में उन्हें गाजा पट्टी में इजराइल की कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर फिर से हिरासत में ले लिया गया था. मीरवाइज ने घर में नजरबंद किए जाने के खिलाफ जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय का रुख किया था.
Anjuman Auqaf Jama Masjid today in a statement said that its president and Mirwaiz-e-Kashmir Mohammad Umar Farooq was allowed by the authorities to offer Friday prayers at Jama Masjid in Srinagar
— ANI (@ANI) March 8, 2024
(Video source: Anjuman Auqaf Jama Masjid) pic.twitter.com/LbwFAXhQNx
कौन हैं मीरवाइज उमर फारूक?
उमर फारूक, कश्मीर के अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं. उनका जन्म 23 मार्च 1973 को हुआ था. मीरवाइज, कश्मीर में काफी दिनों से चला आ रहा मौलवियों का एक ओहदा है. श्रीनगर की जामा मस्जिद के प्रमुख मीरवाइज ही होते हैं. उमर फारूक के पिता मौलवी फारूक की हत्या होने के बाद 17 साल की उम्र में ही उन्हें मीरवाइज बनाया गया था. वह अक्सर अपने अलगाववादी बयानों और कट्टरपंथी टिप्पणियों की वजह से प्रशासन के निशाने पर रहते हैं. उमर फारूक अमूमन कश्मीरी पंडितों को लेकर भी बयान देते रहे हैं. हालांकि उन्होंने कहा है कि पंडितों को घाटी में बसाया जाना चाहिए, यह मुद्दा राजनीतिक नहीं बल्कि मानवता का है.
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