मोहम्मद यूनुस दिखा रहे थे भारत को अकड़! जानें कैसे मोदी सरकार ने बजट में निकाल दी सारी हेकड़ी
Union Budget 2025: बजट 2025-26 में भारत सबसे बड़ी मदद भूटान को करने वाला है. भारत ने भूटान के लिए 2,150 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जबकि पिछले साल ये राशि 2,068 करोड़ रुपये थी.

Union Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (1 फरवरी, 2025) को आम बजट 2025-26 पेश किया. बजट में पड़ोसी देशों की मदद के लिए भी राशि आवंटित की जाती है. इस लिस्ट में बांग्लादेश का भी नाम है. जहां भूटान का नाम इस लिस्ट में टॉप पर है तो वहीं बांग्लादेश को मदद के नाम पर सिर्फ 120 करोड़ रुपये ही दिए जाएंगे. इस बार के बजट में भारत ने बांग्लादेश को मदद के नाम पर दी जाने वाली राशि में कोई इजाफा नहीं किया है.
बजट 2025-26 से भारत ने पड़ोसी बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार को बड़ा झटका दे दिया है. इसके पहले भारत ने बांग्लादेश को 120 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इस बार भी इस राशि को बरकरार रखा गया है. इसका सीधा सा संदेश यही निकलता है कि भारत की ओर से बांग्लादेश को पड़ोसी धर्म देने की हिदायत दे दी गई है.
भूटान को मिली सबसे बड़ी मदद
बजट 2025-26 में भारत सबसे बड़ी मदद भूटान को करने वाला है. भारत ने भूटान के लिए 2,150 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जबकि पिछले साल ये राशि 2,068 करोड़ रुपये थी. वहीं मालदीव के लिए भारत ने 400 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 600 करोड़ कर दिया है. मोहम्मद मुईज्जू के अपने चीन समर्थन के बाद दिल्ली के साथ संबंधों को सुधारने की भी कोशिश कर रहे हैं.
घटा दी अफगानिस्तान की राशि
भारत ने अफगानिस्तान को पिछले साल 200 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई थी, जबकि इसे इस बार के बजट 2025-26 में घटाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया है. दो साल पहले ये राशि 207 करोड़ रुपये थी. वहीं पड़ोसी देश म्यांमार के लिए बीते साल के मुकाबले ज्यादा राशि आवंटित की गई है. साल 2024-25 में ये राशि 250 करोड़ थी, जो इस बार 350 करोड़ रुपये कर दी गई है. नेपाल के लिए ये मदद 700 करोड़ रुपये पर बरकरार है. श्रीलंका के लिए आवंटन 245 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये की गई है.
बीते साल के मुकाबले विदेशी मदद के लिए कम धन आवंटित
सरकार ने विदेश मंत्रालय को 20,516 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इसमें विदेशी मदद के लिए बीते साल के मुकाबले कम धन आवंटित किया गया है. अन्य देशों की मदद के लिए 5483 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जबकि बीते साल 2024 में ये राशि 5,806 करोड़ रुपये थी.
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