(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mohammad Zubair Case: मोहम्मद जुबैर को जेल से राहत नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा
Mohammad Zubair Case: ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को राहत नहीं मिली. दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर पुलिस से 2 हफ्तों में जवाब मांगा है.
Mohammad Zubair Arrest: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ऑल्ट न्यूज (Alt News) के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) की उस याचिका पर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) का रुख पूछा, जिसमें उन्होंने 2018 में एक हिंदू देवता पर किये गये एक कथित आपत्तिजनक ट्वीट से संबंधित एक मामले में उनकी पुलिस रिमांड की वैधता को चुनौती दी है. न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने याचिका पर नोटिस जारी किया और जांच एजेंसी को उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया, जिसमें निचली अदालत के 28 जून के उस आदेश को चुनौती दी गई है. निचली अदालत ने जुबैर को चार दिन की पुलिस हिरासत में देने का आदेश दिया था.
न्यायाधीश ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 जुलाई को सूचीबद्ध किया और कहा कि निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही वर्तमान कार्यवाही से प्रभावित हुए बिना जारी रहेगी. दिल्ली पुलिस ने जुबैर को एक ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में 27 जून को गिरफ्तार किया था और उसी दिन निचली अदालत ने उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था. अदालत ने कहा कि रिमांड आदेश दो जुलाई को समाप्त हो जाएगा और कहा, ‘‘पुलिस रिमांड आदेश चार दिनों के लिए है. मुझे दूसरे पक्ष को सुनना होगा. मैं नोटिस जारी करूंगा.’’
चार दिनों के लिए बढ़ाई थी मोहम्मद जुबैर की हिरासत
एक दिन की हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने उनकी हिरासत चार दिनों के लिए बढ़ा दी थी. निचली अदालत के आदेश के मुताबिक, जुबैर को चार दिन की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने पर दो जुलाई को उसके सामने पेश किया जाएगा. पुलिस के अनुसार, जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-153ए और 295ए के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
क्या कहा था दिल्ली पुलिस ने?
पुलिस (Delhi Police) ने कहा कि यह मामला एक ट्विटर उपयोगकर्ता की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसने उन पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था. पुलिस ने जुबैर (Mohammad Zubair) की हिरासत पांच दिन के लिए बढ़ाने का अनुरोध करते हुए निचली अदालत को बताया था कि आरोपी ने कथित तौर पर लोकप्रिय होने के लिए धार्मिक ट्वीट का इस्तेमाल किया और सामाजिक वैमनस्य पैदा कर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का जानबूझकर प्रयास किया था.
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