मोहम्मद शमी की पत्नी ने शरीयत में बीवियों के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा, जानें?
क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां की याचिका में कहा गया है, बहुत सारी महिलाएं अपने पति के अभिमान, सनक और मनमर्जी के कारण एकतरफ सरिया तलाक के मामले से पीड़ित हैं.
![मोहम्मद शमी की पत्नी ने शरीयत में बीवियों के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा, जानें? Mohammed Shami wife in Supreme Court regarding rights of wives in Shariat मोहम्मद शमी की पत्नी ने शरीयत में बीवियों के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा, जानें?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/05/16/a16d6a204fe91c6b3c59b14013e63ae51684225313818315_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Plea In SC For Gender-Religion Neurtral Divorce Law: भारत की सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (15 मई) को क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां की याचिका पर उससे जुड़े दूसरे पक्षों को नोटिस जारी कर दिया. इस नोटिस में हसीन ने रिक्वेस्ट की थी जिसमें जेंडर न्यूट्रल और रिलिजन न्यूट्रल तलाक के लिए समान नियम और प्रक्रिया के लिए एक दिशा-निर्देश तय करने की मांग की गई है.
इस याचिका को सुनते हुए मुख्य न्यायाधीश डीई वाचंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, इस याचिका को ऐसे ही समान मुद्दों उठाने वाली अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ने का आदेश दिया. इस याचिका को अधिवक्ता दीपक प्रकाश ने दायर किया है, याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए वकील ने कहा कि मेरी क्लाइंट एकतरफा तलाक-उल-हसन से पीड़ित है.
एकतरफा तलाक से पीड़ित हैं कई महिलाएं
वकील ने कहा, 23 जुलाई 2022 को पीड़िता को उसके पति ने एकतरफा तलाक दे दिया था जिसके बाद से उसने अपने निकटतम प्रियजनों से संपर्क किया और तब उसे पता चला कि बहुत सारी महिलाएं अपने पति के अभिमान, सनक और मनमर्जी के कारण इन संकटों से पीड़ित हैं. लिहाजा, यह एक बड़ा मुद्दा है जिसको कि अदालत द्वारा देखा जाना चाहिए.
शरीयत के नियमों की वजह से झेल रही हैं परेशानी
अदालत में दायर की गई याचिका में हसीन जहां ने कहा, वह शरीयत के नियमों के कारण इस तरह की समस्या का सामना कर रही है. तलाक के लिए शरीयत के बहुत ही कठोर नियम हैं, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) के तहत तलाक-ए बिद्दत को छोड़कर भी एकतरफा तलाक देने के कई कारण पहले से मौजूद हैं जिनके जरिए पुरुष अपनी पत्नी को सुलह का बिना कोई आधार दिए तलाक दे सकते हैं.
उन्होंने कहा, इससे एक मुस्लिम महिला को उसके पति बिना कोई कारण के अपनी सनक के लिए मनमौजी तरीके से तलाक देने की कोशिश कर सकते हैं, या तलाक दे देते हैं. इससे भारत के संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 21 का महिलाओं के मूल अधिकारों का उल्लंघन होता है.
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