नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आज विजयादशमी उत्सव के मौके पर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून भी संसद की पूरी प्रक्रिया के बाद पास हुआ. कानून का विरोध करने वाले भी थे. राजनीति में तो ऐसा चलता ही है. ऐसा वातावरण बनाया कि इस देश में मुसलमानों की संख्या न बढ़े, इसलिए नियम लाया, जिससे प्रदर्शन आदि होने लगे. इस पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी.
ओवैसी ने कहा कि हम बच्चे नहीं है कि हमें ‘भटका’ दे. बीजेपी ने सीएए और एनआऱसी का एक साथ क्या अर्थ है ये नहीं बताया. अगर यह मुसलमानों के बारे में नहीं है, तो कानून से धर्म के सभी संदर्भों को हटा दें? ये बात जान लें कि जब तक कानून में हमें अपनी भारतीय साबित करने की बात होगी तब हम इसका बार-बार विरोध करेंगे."
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम किसी भी कानून का विरोध करेंगे जिसके नागरिकता का आधार धर्म होगा. मैं आरजेडी, कांग्रेस और उसके साथियों को भी बताना चाहता हूं कि आंदोलन के दौरान आपकी चुप्पी को भुलाया नहीं जा सकता. जब बीजेपी के नेता सीमांचल के लोगों को 'घुसपैठिया' कह रहे थे, आरजेडी-कांग्रेस ने एक बार भी मुंह नहीं खोला था.
मोहन भागवत ने क्या कुछ कहा?
आरएसएस के प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, नागरिकता संशोधन कानून भी संसद की पूरी प्रक्रिया के बाद पास हुआ. पड़ोसी देशों में दो तीन देश ऐसे हैं, जहां सांप्रदायिक कारणों से उस देश के निवासियों को प्रताड़ित करने का इतिहास है. उन लोगों को जाने के लिए दूसरी जगह नहीं है, भारत ही आते हैं. विस्थापित और पीड़ित यहां पर जल्दी बस जाएं, इसलिए अधिनियम में कुछ संशोधन करने का प्रावधान था. जो भारत के नागरिक हैं, उनके लिए कुछ खतरा नहीं था.”
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