Mohan Bhagwat Remark on Muslims: RSS प्रमुख मोहन भागवत के एक और बयान को लेकर जमकर विवाद शुरू हो चुका है. मोहन भागवत ने मुसलमानों को लेकर एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन हम बड़े हैं ये वाली मानसिकता छोड़नी पड़ेगी. अब भागवत के इस बयान पर ओवैसी समेत तमाम विपक्षी नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. इन 10 बड़ी बातों में जानिए आखिर ये पूरा मामला कहां से शुरू हुआ और अब इसे लेकर क्या विवाद छिड़ा है. 



  1. सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि आखिर आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने क्या बयान दिया था. ‘ऑर्गेनाइजर’ और ‘पांचजन्य’ को दिए एक इंटरव्यू के दौरान मोहन भागवत ने कहा, "हिन्दू समाज हमारी पहचान है, जिसमें राष्ट्रीयता और सबको अपना मानने और साथ लेकर चलने की प्रवृति है और इस्लाम को देश में कोई खतरा नहीं है, लेकिन उसे ‘हम बड़े हैं’ का भाव छोड़ना पड़ेगा."

  2. हालांकि मोहन भागवत ने सभी के लिए ये बात कही. उन्होंने कहा, ‘‘इस्लाम को कोई खतरा नहीं है, लेकिन हम बड़े हैं, हम एक समय राजा थे, हम फिर से राजा बने...यह छोड़ना पड़ेगा और किसी कोई भी छोड़ना पड़ेगा. ऐसा सोचने वाला कोई हिन्दू है, उसे भी (यह भाव) छोड़ना पड़ेगा. कम्युनिस्ट है, उनको भी छोड़ना पड़ेगा.’’

  3. मोहन भागवत के इस बयान पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि RSS आर्यन सुप्रीमेसी में विश्वास करता है. हिटलर को भी सुप्रीमेसी का गुमान था. आरएसएसआर शुरुआत से संविधान के रिड्राफ्ट की बात करता है. हम मुस्लिम सुप्रीमिसी की नहीं, इक्वल सिटीजनशिप की बात करते हैं. यह अपर कास्ट का बयान है. मोहन भागवत बीजेपी के गुरु घंटाल हैं. 

  4. ओवैसी ने अपने बयान में आगे कहा कि "वो होते कौन हैं मुसलमानों को ऑर्डर देने के लिए, हमें किसी से सीखने की जरुरत नहीं है. फिर आप बोलते हैं सबका DNA एक है, भारत के मुसलमानों से आप आखिर इतना डरते क्यों हो? भोपाल के MP का स्टेटमेंट वो नहीं सुनते कौन कह रहा था कि चाकू रखो? ये लोग चीन पर क्यों नहीं बोलते हैं? 

  5. राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की ‘हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहना चाहिए’ टिप्पणी पर तंज कसते हुए कहा कि वो इसे सहमत हैं, लेकिन ‘इंसान को इंसान रहना चाहिए.’

  6. कांग्रेस नेता उदित राज ने भी मोहन भागवत के बयान का जिक्र करते हुए उन पर निशाना साधा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "मोहन भागवत जी बताएं कि सनातन धर्म में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं की क्या स्थिति थी? क्या जाति नहीं थी?"

  7. सीपीएम नेता वृंदा करात ने भी आरएसएस चीफ भागवत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी. जिसमें उन्होंने भागवत के बयान को काफी ज्यादा विवादित और असंवैधानिक करार दिया. करात ने कहा कि मोहन भागवत का बयान भड़काऊ है और सुप्रीम कोर्ट को इस पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए. ऐसा लग रहा है कि भागवत जी तय करेंगे कि कौन भारत में रहेगा. उन्हें और उनकी हिंदुत्व ब्रिगेड को पहले संविधान पढ़ने की जरूरत है. 

  8. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर अखिल भारतीय इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने कहा, लोग हिस्ट्री को जानते हैं समझते हैं, मोहन भगवत को ज्ञान देने की जरुरत नहीं है. इनकी बात मानकर हम कुछ भी क्यूं भूले, इस्लाम का प्रचार करने की इजाज़त संविधान में है. हमने राज किया है हिन्दुस्तान पर, लेकिन हम ये तो नहीं कह रहे हैं की हम देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहते हैं. बीजेपी का या फिर आरएसएस के किसी का भी आज़ादी में योगदान हो तो बताइए. 

  9. मोहन भागवत के इंटरव्यू की बात करें तो उन्होंने इस दौरान जनसंख्या कानून की मांग को लेकर भी जवाब दिया. भागवत ने कहा, पहले हिन्दू को यह समझ में आए कि हिन्दू आज बहुमत में है और हिन्दू के उत्थान से इस देश के सब लोग सुखी होंगे. ‘‘जनसंख्या एक बोझ भी है और एक उपयोगी चीज भी है, ऐसे में जैसा मैंने पहले कहा था कि वैसी दूरगामी और गहरी सोच से एक नीति बननी चाहिए.’’

  10. इंटरव्‍यू में मोहन भागवत ने एलजीबीटीक्यू समुदाय का भी समर्थन किया और कहा कि उनकी निजता का सम्मान किया जाना चाहिए. भागवत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि संघ इस विचार को प्रोत्साहित करेगा. उन्‍होंने कहा, हम चाहते हैं कि एलजीबीटी समुदाय को उनकी निजता का हक मिले और वह इसे महसूस करें कि वह भी इस समाज का हिस्सा हैं.


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