नई दिल्लीः महिला उत्थान पर बात करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आज समाज को सचेत करते हुए कहा कि महिलाओं का उत्थान महिलाओं के द्वारा ही होना चाहिए और महिला उत्थान के लिए सही मायने में पुरुष वर्ग को बहुत प्रबोधन की जरूरत है यानी उन्हें शिक्षा देने की जरूरत है. मोहन भागवत ने कहा कि स्वयं स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि महिलाओं को संदेश देने की औकात पुरुषों में नहीं है इसलिए महिलाओं का उत्थान महिलाओं के द्वारा ही होना चाहिए. संघ प्रमुख दृष्टि स्त्री अध्ययन केंद्र के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान देश में महिलाओं की स्थिति पर उन्होंने विस्तार से चर्चा की.


कार्यक्रम में महिलाओं पर एक सर्वे रिपोर्ट भी पेश की गई जिसमें जिसमें माना गया कि देश की ज्यादातर महिलाएं खुश रहती हैं. कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा टोकनिज्म से काम नहीं चलेगा. अधिकार तो महिलाओं को दिए गए लेकिन उसे लागू नहीं किया गया. निर्मला सीतारमण ने स्टैंडिंग कमेटी में महिला चेयरपर्सन ना बनाए जाने पर सवाल खड़े किए और कहा कि स्टैंडिंग कमेटी में एक भी महिला चेयरपर्सन नहीं है.



दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किए गए कार्यक्रम में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुईं. इसके अलावा महिला उत्थान पर केंद्रित कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह भैया जी जोशी समेत भारतीय जनता पार्टी के संगठन मंत्री बीएल संतोष कई वरिष्ठ संघ के पदाधिकारी महिला संगठन से जुड़े और कई हस्तियां मौजूद रहीं. कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि संघ में महिलाओं की भागीदारी कितनी है ये सवाल आज सुबह फॉरेन मीडिया के कुछ लोगों ने मुझसे पूछा था तो उन्हें हमने कहा कि शाम को महिलाओं को लेकर एक कार्यक्रम है उसमें आ जाइये पता चल जाएगा.


उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था महिलाओं को सन्देश देने की औकात पुरुष में नहीं है. महिलाओं में शक्ति है क्योंकि उनके पास वात्सल्य है. उन्हें एक्सेस, मौका और स्वतंत्रता देनी चाहिए. दृष्टि ने अच्छा नेटवर्किंग करके बड़ा सर्वे किया है, ये अच्छा काम है. संघ की दृष्टि मातृशक्ति के उत्थान को आज मैं देख रहा हूं. इस सर्वे को पुरुषों को बारीकी से पढ़ना चाहिए और उन्होंनें कहा कि इसे आगे फैलाओ या न फैलाओ लेकिन कम से कम अपने घर से शुरू करो और अपनाओ.



कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यहां आज जो स्टडी पेश की गई उससे ये कहा जा सकता है कि महिलाएं डिसएडवांटेज नही हैं. महिलाओं को सही और उचित अधिकार और पहुंच मिलनी चाहिए सिर्फ कहने मात्र से काम नही चलने वाला. महिलाओं को स्थान देने वाले कानून तो हैं लेकिन अधिकार नहीं मिले हैं जैसे स्टैंडिंग कमेटी में कोई महिला चेयरपर्सन नही है. टोकनिस्ज्म से काम नही चलने वाला है और कानून के जरिये अधिकार महिलाओं को मिलें लेकिन महिलाओं को भी आगे आना चाहिए. कम्फर्ट जोन से महिलाओं को बाहर निकलना चाहिए. कम्फर्ट जोन से निकलकर चैलेंज लेना पड़ता है.




महिलाओं की स्‍थिति पर आरएएस का बड़ा सर्वे
आरएसएस से प्रभावित महिला संगठन दृष्टि स्त्री अध्ययन केंद्र ने एक सर्वे में दावा किया है कि देश में 64 फीसदी महिलाएं खुश रहती हैं. ये महिलाओं की स्‍थिति पर किया गया अब तक का सबसे बड़ा सर्वे बताया जा रहा है. ये सर्वे इसलिए भी अहम हो जाता है क्‍योंकि कुछ दिनों पहले ही थॉमसन रॉयटर्स ने भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों में से एक माना था. इसमें 2007 से लेकर 2016 तक के आंकड़ों का हवाला दिया गया था. इसके अनुसार, महिलाओं के प्रति होने वाला अपराध इन सालों में 83 प्रतिशत तक बढ़ा है. राष्‍ट्र सेविका समिति ने दो साल पहले देश के 574 जिलों में महिलाओं की स्‍थिति जानने के लिए सर्वे शुरू किया था. संगठन का दावा है कि सर्वे 574 जिलों में किया गया. इसमें सामने आया है कि 64 प्रतिशत महिलाएं खुश हैं. हमने इसमें वीएचपी, विद्या भारती, एबीवीपी और दूसरे संगठनों की मदद ली है.