Mohan Bhagwat Speech: 'ग्रंथ और परंपरा की फिर से समीक्षा होनी चाहिए', बोले मोहन भागवत
Mohan Bhagwat Speech: आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर में कहा कि हमारी कुछ प्राचीन पुस्तकें गायब हो गयीं जबकि कुछ लोगों ने प्राचीन कृतियों में गलत बातें डाल दी.
Mohan Bhagwat Speech: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार (2 फरवरी) को नागपुर में कहा कि हर भारतीय के पास देश के पारंपरिक ज्ञान भंडार की कुछ मूलभूत जानकारी होनी ही चाहिए. वह नागपुर जिले के कन्होलिबरा में आर्यभट्ट एस्ट्रोनोमी पार्क के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे.
मोहन भागवत ने कहा, ‘‘हमारे पास परंपरागत रूप से जो है, उसके बारे में हर व्यक्ति के पास कम से कम मूलभूत जानकारी होनी चाहिए, इसे शिक्षा प्रणाली तथा लोगों के बीच आपसी बातचीत से हासिल किया जा सकता है. ’’ आरएसएस प्रमुख ने कहा कि ऐतिहासिक दृष्टि से भारत में चीजों को देखने का वैज्ञानिक नजरिया रहा है लेकिन आक्रमणों के कारण ‘हमारी व्यवस्था नष्ट हो गयी और ज्ञान की हमारी संस्कृति विखंडित हो गयी.’’
भागवत ने कहा, ''हमारे पूर्वज ने सबकुछ दिया है. बाद में ग्रंथों में बहुत कुछ घुसा दिया गया. ग्रंथ और परंपरा की फिर से समीक्षा होनी चाहिए.''
क्या दावा किया?
भागवत ने कहा कि यदि भारतीय अपने पारंपरिक ज्ञान-विज्ञान आधार को खंगाले और उन्हें यह मिले कि वर्तमान दौर में जो स्वीकार्य है, वह पहले भी था तो, ‘दुनिया की कई समस्याओं का हमारे समाधानों से हल किया जा सकता है. ’’ उन्होंने भारत के बाहर कई देशों को ज्ञान के स्वामित्व का गुमान होने का दावा करते हुए कुछ ऐसे देशों का उदाहरण दिया जो योग की जन्मस्थली होने का दावा करते हैं और उसपर स्वामित्व अधिकार पाने के लिए पेटेंट भी फाइल करते हैं.
भागवत ने कहा, ‘‘ज्ञान चाहने वाले को ज्ञान दिया जाए. ज्ञान सभी तक पहुंचना चाहिए. ’’ उन्होंने कहा कि चूंकि अन्य लोग बिना अनुमति ज्ञान लेना चाहते हैं तो ऐसे में जरूरी है कि हमें कम से कम यह पता हो कि हमारी परंपरा में कौन-कौन सी बातें हैं.
'पहले गायब थीं'
भागवत ने कहा कि भारत का पारंपरिक ज्ञान भंडार विशाल है , हमारी कुछ प्राचीन पुस्तकें गायब हो गयीं जबकि कुछ के मामलों में निहित स्वार्थी तत्वों ने प्राचीन कृतियों में गलत दृष्टिकोण डलवा दिये. उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति के तहत तैयार पाठ्यक्रम में कुछ ऐसी बातें हैं जो पहले गायब थीं.
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