(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गोकशी, काफिर, डीएनए... मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ मुलाकात में मोहन भागवत ने देश के मौजूदा माहौल पर जताई चिंता
Mohan Bhagwat: आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने गोकशी और 'मौजूदा असहमति के माहौल' को लेकर चिंता व्यक्त की है. यह जानकारी पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने दी है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर.
SY Quraishi On Mohan Bhagwat: आज दिल्ली में आरएसएस चीफ मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों (Muslim Intellectuals) से मुलाकात की और कई अहम मुद्दों को लेकर बैठक की. इस बैठक में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. इमाम उमर अहमद इल्यिासी भी शामिल रहे. इस पूरी मीटिंग को लेकर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि भागवत "मौजूदा असहमति के माहौल" को लेकर चिंतित हैं. कुरैशी ने बताया कि पिछले महीने मोहन भागवत के साथ बातचीत सकारात्मक और रचनात्मक थी और बैठक में आपसी चिंता के पहलुओं को कवर किया गया.
'देश सहयोग और एकजुटता से ही आगे बढ़ सकता है'
आपको बता दें कि एसवाई कुरैशी उन पांच मुस्लिम बुद्धिजीवियों में से एक थे, जिन्होंने पिछले महीने मोहन भागवत के साथ 75 मिनट की बैठक में भाग लिया था. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने एनडीटीवी से कहा, "मोहन भागवत ने कहा कि वह भी चिंतित थे. उन्होंने कहा कि वे वैमनस्य के माहौल से खुश नहीं हैं. यह पूरी तरह से गलत है. देश सहयोग और एकजुटता से ही आगे बढ़ सकता है."
'गोहत्या हिंदुओं को परेशान करती है'
एसवाई कुरैशी ने बताया कि मोहन भागवत ने कुछ ऐसे बिंदु साझा किए जो उनके लिए विशेष रूप से चिंतित करने वाले थे. इसमें एक गोहत्या थी, जो हिंदुओं को परेशान करती है. कुरैशी ने कहा, "इसलिए हमने कहा कि यह देश भर में व्यावहारिक रूप से प्रतिबंधित है. मुसलमान कानून का पालन कर रहे हैं और अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो यह बहुत बड़ी गलती है और इसके लिए सजा होनी चाहिए."
काफिर शब्द से नाखुश मोहन भागवत
कुरैशी ने बताया कि भागवत "काफिर" शब्द के प्रयोग से भी नाखुश थे. कुरैशी ने कहा, "हमने मूल रूप से अरबी में कहा, इस शब्द का अर्थ है अविश्वासी. कुछ लोग इस्लाम में विश्वास करते हैं, उन्हें "मोमिन" कहा जाता है. गैर-आस्तिक "काफिर" हैं. यह एक तटस्थ शब्द था और अब यह अपमानजनक हो गया है. हमें इसे रोकने में कोई समस्या नहीं है."
'हमारा डीएनए समान है'
उन्होंने कहा, "मुस्लिम समूह ने यह मुद्दा बनाया कि कुछ दक्षिणपंथी लोग मुस्लिमों को जेहादी और पाकिस्तानी कहते हैं. वे मुसलमानों की वफादारी पर संदेह करते हैं और चाहते हैं कि वे हर मोड़ पर अपनी देशभक्ति साबित करें. मुसलमान भी भारतीय हैं." इसके जवाब में मोहन भागवत ने कहा, "हमारा डीएनए समान है. यहां अधिकांश मुसलमान धर्मांतरित हैं."
उन्होंने कहा, "उन्होंने हमें बहुत आश्वासन दिया. शिवलिंग पर उनका बयान भी बहुत मजबूत था और हम इसका स्वागत करते हैं." कुरैशी ने कहा कि यह सत्र, शुरू में केवल 30 मिनट के लिए होने वाला था, जो बाद में एक घंटे 15 मिनट तक चला.
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