Money laundering case: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के मामले में ED ने गिरफ्तार कर लिया. इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे 12 घंटे की पूछताछ की थी. दरअसल 100 करोड़ वसूली केस में आरोपी देशमुख पिछले कई महीनों से लापता रहने के बाद आज अचानक ED दफ्तर पहुंचे थे. वहीं 12 घंटो तक चली पूछताछ में जब ईडी को संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उन्होंने पूर्व गृहमंत्री को गिरफ्तार कर लिया. उन्हें अब अदालत में पेश किया जाएगा.
तारीख और घटनाक्रम :-
- मार्च 2021 - परमबीर ने सीएम को लिखा पत्र.
- 5 अप्रैल - अनिल देशमुख ने इस्तीफा दिया.
- 10 मई - ईडी ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देशमुख के खिलाफ ईसीआईआर दायर किया.
- 26 जून - ईडी ने अनिल देशमुख को समन किया.
- 29 जून - अनिल देशमुख को दूसरा समन ED ने भेजा.
- 5 जुलाई - अनिल देशमुख को तीसरा समन ED ने भेजा.
- 16 जुलाई - अनिल देशमुख को चौथा समन.
- 17 अगस्त - अनिल देशमुख को पांचवां समन.
- 2 सितंबर - अनिल देशमुख ने बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा उनके खिलाफ जारी किए गए समन को रद्द करने की मांग की है.
- 29 अक्टूबर - बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनिल देशमुख को ईडी द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को रद्द करने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया.
- 1 नवंबर - अनिल देशमुख ED के सामने पेश होते हैं.
मुम्बई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर मुम्बई के बार और रेस्टोरेंट मालिको से पुलिस द्वारा वसूली करवाने के आरोप के बाद से ही अनिल देशमुख पर ED की तलवार लटक रही थी. अनिल देशमुख पर मंत्री पद के दुरुपयोग, वसूली के आरोप, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप है. प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल देशमुख और उनके बेटे ऋषिकेश देशमुख को कई बार समन जारी किया था.
25 जून को की थी छापेमारी
25 जून 2021 के दिन प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल देशमुख और अनिल देशमुख के करीबियों के घर और ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के बाद अनिल देशमुख के PA कुंदन शिंदे और PS संजीव पलांडे को ED अधिकारी अपने साथ ED दफ्तर ले गए. पूछताछ के बाद कुंदन शिंदे और संजीव पलांडे को गिरफ्तार कर लिया गया. अनिल देशमुख को ED ने समन दिया था पर अनिल देशमुख ने कभी कोरोना, तो कभी अपनी ज्यादा उम्र व बीमारियों को कारण बताते हुए ऑनलाइन पूछताछ की मांग की थी.
क्या है वसूली मामला ?
यह मामला मुंबई के बार मालिकों से ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए पैसे लेने का है. पहली नजर में कुल 4.70 करोड़ रुपयों के वसूली का मामला है. कई बार मालिकों के बयान को ईडी ने रिकॉर्ड किया जिसमें उन्होंने कहा कि दिसंबर 2020 में सचिन वाजे ने उनसे संपर्क साधा और बार मालिकों से 40 लाख रुपये लिए, जिसे वो लोग गुड लक मनी कहते थे. उस समय सचिन वाजे CIU (क्राइम ब्रांच) के हेड थे.
जनवरी और फरवरी 2021 में मुम्बई के जोन 1 से जोन 6 में आने वाले ऑरकेस्ट्रा बार मालिकों ने 1.64 करोड़ रुपये दिए. जोन 7 से जोन 12 के अंतर्गत आने वाले ऑरकेस्ट्रा बार मालिकों ने 2.74 करोड़ रुपये दिए. सचिन वाजे ने अपने बयान में बताया कि जो 4.70 करोड़ रुपये उसने इन बार मालिकों से इकट्ठा किए, वो उन्होंने अनिल देशमुख के कहने पर उनके पीए कुंदन शिंदे को दिया.
संजीव पलांडे भी इस पूरे मामले शामिल
इसके अलावा दो पुलिस अधिकारियों ने अपने बयान में बताया कि संजीव पलांडे भी इस पूरे मामले शामिल हैं. अधिकारियों का कहना है कि सचिन वाजे ने उन्हें बताया कि यह पैसे उन्होंने संजीव पलांडे के कहने पर बार मालिकों से जमा किया. जो 4.70 करोड़ रुपये हैं, वो नागपुर से दिल्ली हवाला से गया और दोबारा ट्रस्ट में लौटा है. ट्रस्ट का नाम श्री साईं संस्था है, जिसे अनिल देशमुख का परिवार चलाता है. इस ट्रस्ट में कुंदन शिंदे भी एक मेंबर हैं.
ED को ऐसी 11 कंपनियों के बारे में पता चला है जो की अनिल देशमुख के बेटों सलिल और ऋषिकेश के सीधे कंट्रोल में है. साथ ही 13 ऐसी कंपनियां हैं जो अनिल देशमुख के बेटों और परिवार से जुड़े लोगों के द्वारा चलाई जाती हैं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से अनिल देशमुख का परिवार उस पर कंट्रोल करता है. ईडी की जांच में ये बात सामने आई है कि इन कंपनियों के बीच में लगातार ट्रांजैक्शंस हुए हैं.
25 जून को की थी 6 ठिकानों पर रेड
ईडी ने 25 जून को मुंबई, नागपुर और अहमदाबाद के 6 ठिकानों पर रेड की और 6 डायरेक्टर्स और 2 CA का स्टेटमेंट दर्ज किया. इन सभी से पूछताछ के बाद जो जानकारी मिली उसके मुताबिक इन्हीं लोगों के जरिए देशमुख परिवार अलग-अलग नामों की कंपनियां चला रहा था और इन कंपनियों का सीधा कंट्रोल इनके जरिए देशमुख परिवार के हाथ में था.
विक्रम शर्मा नाम के डमी डायरेक्टर से जब ईडी ने पूछताछ की तो इस डायरेक्टर ने अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख का नाम लिया और बताया कि उसकी कंपनी "Qubix हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड" को स्थापित करने के लिए ऋषिकेश देशमुख ने पैसे दिए थे. विक्रम शर्मा qubix हॉस्पिटैलिटी नामक कंपनी के अलावा चार अन्य कंपनियों में भी डायरेक्टर हैं जिसके बारे में विक्रम को जानकारी नहीं है. विक्रम ने ईडी को बताया है कि ऐसे कई डाक्यूमेंट्स और चेक पर ऋषिकेश देशमुख ने उनसे हस्ताक्षर लिए हैं. विक्रम शर्मा ने बताया कि qubix हॉस्पिटैलिटी का कंट्रोल भी ऋषिकेश देशमुख के पास ही है. अनिल देशमुख के सीए प्रकाश रमानी ने भी ईडी के सामने यह बताया है कि जिन कंपनियों की जानकारी ईडी के पास आई है ये सभी कंपनियां प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से देशमुख परिवार के कंट्रोल में है.
कई महत्वपूर्ण बात आई सामने
ईडी की जांच में एक और महत्वपूर्ण बात सामने आई है नागपुर स्थित श्री साई शिक्षण संस्था जिसके चेयरमैन अनिल देशमुख हैं. साथ ही उनके परिवार के कई लोग इस संस्था के ट्रस्टी हैं. यहां तक कि गिरफ्तार किया गया कुंदन भी संस्था का मेंबर है जांच में पता चला कि पिछले कुछ समय से इस संस्था को 4 करोड़ 18 लाख रुपये मिले हैं. इस संस्था के बैंक एकाउंट की एंट्री को देखने के बाद ED ने इस संस्था को पैसे देने वाली कंपनियों की तलाश की तो पता चला ये कंपनियां दिल्ली में है लेकिन सिर्फ पेपर पर. यानी की यह कंपनियां सिर्फ कैश ट्रांजैक्शन को सेटल करने के लिए इस्तेमाल की जा रही थी जिसे सेल कंपनियां कहते हैं.
ईडी ने जांच के दौरान इन सेल कंपनियों के मालिक सुरेंद्र जैन और वीरेंद्र जैन से पूछताछ की तो पता चला की नागपुर से एक शख्स द्वारा इन्हें कांटेक्ट किया गया और श्री साईं शिक्षण संस्था को कैश के ऐवज में डोनेशन दिए जाने की बात कही. ये कैश हवाला के जरिए नागपुर से दिल्ली भेजा गया और फिर इन सेल कंपनियों के माध्यम से डोनेशन के रूप में 4 करोड़ 18 लाख रुपए श्री साईं शिक्षण संस्था को मिला. ईडी के मुताबिक यह सब कुछ अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख की निगरानी में हो रहा था. ईडी को शक है कि ये रकम उसी 4 करोड़ 70 लाख का हिस्सा है जिसे दिसंबर से फरवरी के बीच में सचिन वैसे द्वारा बार और रेस्टोरेंट के जरिए वसूल कर अनिल देशमुख के पिए कुंदन को दिया गया था.
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