प्रयाग ग्रुप पर ED का शिकंजा, करोड़ों रुपये की ठगी के दस्तावेज बरामद, बाप-बेटे गिरफ्तार
Kolkata Raid: कोलकाता में ED ने चिट फंड घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रयाग ग्रुप और उसके निदेशकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. छापेमारी में दस्तावेज जब्त कर निदेशकों को गिरफ्तार किया गया.
Money Laundering: कोलकाता में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चिट फंड घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रयाग ग्रुप ऑफ कंपनीज और उसके निदेशकों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की है. बता दें कि ED के अधिकारियों ने कोलकाता और मुंबई में स्थित प्रयाग ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी की जिसमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल एविडेंस बरामद किए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि इन दस्तावेजों में ऐसे सबूत मिलें हैं जो ये साबित करते हैं कि प्रयाग ग्रुप ने जनता को आकर्षक रिटर्न का वादा करके करोड़ों रुपये की ठगी की. यह घोटाला मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी निवेश योजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर संपत्ति जुटाने से जुड़ा हुआ है.
जानकारी के अनुसार ईडी ने इस मामले में प्रयाग ग्रुप के दो मुख्य निदेशकों बसुदेव बागची और उनके बेटे अविक बागची को गिरफ्तार किया है. इन दोनों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी निवेश योजनाओं के माध्यम से आम लोगों से बड़ी रकम इकट्ठी की और उसे अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया. जांच एजेंसी अब इस संपत्ति के स्रोत और उसकी धोखाधड़ी के जरिए जुटाई गई रकम का पता लगाने में जुटी हुई है. छापेमारी के दौरान ED ने जो दस्तावेज और डिजिटल एविडेंस बरामद किए हैं उससे यह साफ हो गया है कि प्रयाग ग्रुप ने जानबूझकर लोगों को धोखा देने के लिए एक बड़े पैमाने पर ठगी की योजना बनाई थी.
CBI की FIR पर आधारित मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज
ED ने इस मामले में सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. पहले सीबीआई ने आरोपितों के खिलाफ जांच शुरू की थी जिसके बाद गिरफ्तारी भी की गई थी. हालांकि जमानत मिलने के बाद दोनों आरोपी बसुदेव और अविक बागची अंडरग्राउंड हो गए थे. अब ईडी ने उनकी गिरफ्तारी की कार्यवाही को तेज करते हुए उन्हें न्यायालय में पेश किया. उनकी गिरफ्तारी के बाद अब जांच एजेंसियां इस पूरे मामले को लेकर और गहराई से जांच कर रही हैं.
प्रयाग ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई की अहमियत
प्रयाग ग्रुप की यह धोखाधड़ी केवल मनी लॉन्ड्रिंग तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक बड़ी वित्तीय धांधली का हिस्सा है जिसका उद्देश्य निवेशकों से पैसा इकट्ठा करना और उसे गलत तरीके से अपनी संपत्ति में बदलना था. ये कार्रवाई न केवल इस घोटाले को उजागर करने के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि इससे ये भी साबित होता है कि सरकारी एजेंसियां इस तरह के वित्तीय अपराधों को लेकर गंभीर हैं और ऐसे मामलों में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. ऐसे में अब ये बेहद जरूरी है कि ईडी की इस कार्रवाई के बाद प्रयाग ग्रुप के खिलाफ और कौन से कदम उठाए जाते हैं और इस मामले में अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी कब होगी.
ये भी पढ़ें: संभल में मस्जिद विवाद को कानूनी नजर से समझिए; सर्वे के आदेश पर क्यों उठ रहे हैं सवाल