PMLA Case : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद सत्येंद्र जैन को दिल्ली हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है. एक बार फिर उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा, चूंकि याचिककर्ता एक प्रभावशाली व्यक्ति है और इस मामले में सीधा आरोपी है जिसके पास जांच की निष्पक्षता को प्रभावित करने की क्षमता है लिहाजा हम उनको जमानत नहीं दे सकते हैं. 


जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की बेंच ने सत्येंद्र जैन, अंकुश जैन और वैभव जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी. पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, याचिकाकर्ता एक प्रभावशाली व्यक्ति है और वह जांच की निष्पक्षता और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कूवत रखता है, इसलिए अदालत उनको जमानत नहीं दे सकती है.


ईडी की तरफ से पेस हुए थे एएसजी एसवी राजू


बीते महीने 21 मार्च को इसी पीठ ने बचाव और अभियोजन पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया था. दलीलों के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कोर्ट में पेश हुए थे. उन्होंने अदालत में बहस के दौरान कहा, सत्येंद्र जैन और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला पूरी तरह से स्पष्ट है, इसलिए उनको जमानत नहीं दी जानी चाहिए.


अदालत में क्या बोले सत्येंद्र जैन के वकील?
जैन ने अदालत में दी गई अपनी जमानत याचिका में कहा, मैं 7 बार ईडी के सामने पेश हुआ और मैंने उसको सहयोग किया और जांच में भाग लिया बावजूद इसके मुझे गिरफ्तार कर लिया गया. हाई कोर्ट में दायर याचिका पर जैन ने कहा, निचली अदालत ने उनके पक्ष को गंभीरता से नहीं सुना और उन पर लगाए गए आरोप पीएमएलए के तहत दंडनीय अपराध का कारण नहीं बननी चाहिए. 


दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने जैन की याचिका को रिजेक्ट करते हुए कहा था, आरोपी सत्येंद्र जैन ने जान बूझकर गलत तरीके से कमाए गए पैसे को खपाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का काम किया था.


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