Monkeypox test in India: देश में बढ़ते मंकीपॉक्स संक्रमण (Monkeypox) के मामले को देखत हुए हेल्थ मंत्रालय पूरी तरह अलर्ट मोड़ पर काम कर रहा है. वहीं, मंकीपॉक्स की जांच करने के लिए पहला स्वदेशी निर्मित आरटी पीसीआर (RT-PCR) किट आंध्र प्रदेश के मेडटेक जोन (AMTZ) में शुक्रवार (18 अगस्त) को लांच किया गया. केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद ने इसको लांच किया. इस स्वदेशी किट को ट्रांसएशिया बायो मेडिकल्स (Transasia Biomedicals) ने विकसित किया है.
'बेहतर मैनेजमेंट करने में मदद मिलेगी
ट्रांस एशिया के संस्थापक-अध्यक्ष सुरेश वजीरानी ने कहा, 'इस किट की सहायता से संक्रमण का जल्दी पता लगया जा सकेगा. ट्रांस एशिया एरबा मंकीपॉक्स आरटी पीसीआर किट बेहद संवेदनशील, लेकिन इस्तेमाल में आसान है.' आंध्र प्रदेश के मेडटेक जोन में ट्रांसएशिया बायो मेडिकल्स के संस्थापक-अध्यक्ष सुरेश वज़ीरानी ने कहा, 'संक्रमण का जल्द पता लगाने और बेहतर मैनेजमेंट करने में मदद मिलेगी.'
भारत में मंकीपॉक्स के 10 मामले
भारत में अब तक मंकीपॉक्स के 10 मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, अब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) मंकीपॉक्स मरीजों के संपर्क में आए लोगों में एंटीबॉडी की मौजूदी की जांच करने के लिए एक सीरो-सर्वे कर सकती है. साथ ही आईसीएमआर ये भी पता लगा सकती है कि उनमें से कितनों में संक्रमण के लक्षण नहीं थे. बता दें कि मंकीपॉक्स को विश्व स्वस्थ्य संगठन ने इमरजेंसी घोषित किया हुआ है.
सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी ने क्या कहा जानिए
उधर, अफ्रीका की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने कहा है, वह इस बात से काफी खुश हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अफ्रीकी क्षेत्रों से मंकीपॉक्स रोग के स्वरूप का नाम बदल रहा है. दरअसल, डब्ल्यूएचओ ने पिछले हफ्ते कहा था कि मंकीपॉक्स (Monkeypox) का नाम बदलने के लिए खुली बैठक आयोजित की जाएगी. बीमारी के जिस स्वरूप को कांगो बेसिन कहा जाता था, उसे अब क्लैड 1 कहा जाएगा और जिसे पहले पश्चिम अफ्रीका स्वरूप कहा जाता था, उसे अब क्लैड 2 कहा जाएगा. उन्होंने कहा, इससे बीमारी से जुड़ा कलंक दूर हो सकेगा.