Monkeypox In india: भारत में पहला मंकीपॉक्स (Monkeypox Cases) का मरीज केरल (Kerala) के कोल्लम जिले में मिला है, जो संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से लौटकर आया है. उसके शरीर में मंकीपॉक्स (Monkeypox Virus) के लक्षण दिखाई दिए थे, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. देश में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि होने के बाद भारत सरकार (Government Of India) अब एक्शन मोड में आ गई है और विशेषज्ञों की एक टीम को केरल भेजा है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को चिट्ठी लिखकर मंकीपॉक्स के लिए बनी गाइडलाइंस (Monkeypox Guidelines)को लागू करने की सलाह दी है.
क्या है ये मंकीपॉक्स वायरस
एम्स (AIIMS)के कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ हर्षल साल्वे ने बताया कि, मंकीपॉक्स एक वायरस से होने वाली बीमारी है जो खासकर अफ्रीकन देशों में पाई जाती रही है. आमतौर पर ये वायरस जानवरों में होता है इसलिए इसको जूनोटक डिजीज भी कहा जाता है और यह जानवरों से इंसान में फैलता है. उन्होंने कहा कि साल 1970 से अफ्रीकन देशों में ये बीमारी देखी जा रही है. लेकिन अभी कुछ वक्त से कुछ अन्य देशों में भी फैली है. यह बीमारी देखा जाए तो जानवरों से इंसान में फैलती है और अब इसका इंसान से इंसान में भी ट्रांसमिशन देखा गया है. यह बीमारी किसी भी वायरल फीवर की तरह होती है- इसमें बुखार, बदन दर्द. सर दर्द के साथ ही कोशिकाओं में सूजन आ जाती है.
डॉक्टर साल्वे ने कहा कि दुनिया भर के कई देशों में मंकीपॉक्स के काफी मरीज मिल रहे हैं. इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी काफी सूचनाएं दी हैं और हाल ही में भारत में भी इसका एक केस मिला है, जिसकी ट्रैवल हिस्ट्री है और किसी भी इनफेक्शियस डिजीज के लिए ट्रैवल हिस्ट्री काफी महत्वपूर्ण होती है.
मंकीपॉक्स के लक्षण
डॉ हर्षल साल्वे के मुताबिक, ये बीमारी 3 से 4 हफ्ते तक रहती है और संक्रमण के तीन से चार दिन बाद इसके लक्षण दिखने लगते हैं. इस दौरान बुखार, बदन दर्द, कोशिकाओं में सूजन और शरीर पर चकते आते है. लेकिन ये उतनी तेज़ी से नहीं फैलती है. इसमें वो लोग संक्रमण की चपेट आ सकते है जो मरीज के आस पास होते है. वहीं ये स्मॉल पॉक्स जितनी घातक भी नहीं हैं.
कैसे फैलता है ये वायरस
डॉ हर्षल साल्वे के मुताबिक, मंकी पॉक्स का ट्रांसमिशन ह्यूमन तो ह्यूमन भी होता है. मरीज के संपर्क में आए लोगों को यह बीमारी होने की ज्यादा संभावना रहती है. खासकर उन लोगों को जो बीमार व्यक्ति की तीमारदारी कर रहे होते है. यह रेस्पिरेट्री ड्रॉपलेट और बॉडी फ्लूइड से फैलता है. अगर बात करें तो यह बीमारी सेल्फ लिमिटिंग भी है. ये चार हफ्ते बाद खुद ही अपने आप खत्म भी हो जाती है. इस बीमारी के फैलने का खतरा उन्हें है, जो मरीज के संपर्क में आते हैं. अगर सही समय पर मरीज को आइसोलेट कर दिया जाए तो ये बीमारी फैल नहीं सकेगी. अब तक जो अनुसंधान हुए हैं उसमें इसकी केस फर्टिलिटी रेट कम पाई गई है.
बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है मंकीपॉक्स
जानकारों के मुताबिक मंकीपॉक्स अभी महामारी नहीं है. लेकिन इसका खतरा खासतौर पर बच्चों में है क्योंकि हमारे देश में स्मॉल पॉक्स का टीकाकरण अभी फिलहाल नहीं हुआ है. जिनको स्मॉलपॉक्स के टीके लगे हैं वे 50- 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग हैं. उनकी इम्यूनिटी इस वायरस के खिलाफ होगी और उनको खतरा कम है, लेकिन जो 40 साल से कम उम्र के हैं, जिन्हें स्मालपॉक्स की वैक्सीन नहीं लगी है या एक बार फि स्मालपॉक्स की बीमारी नहीं हुई है उनमें यह बीमारी थोड़ी गंभीर हो सकती है. अभी ये नहीं कहा जा सकता कि मंकीपॉक्स पेंडेमिक हो सकता है.
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