Monkeypox Cases In Kerala: भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) बीमारी को लेकर चिंताएं बढ़ने लगीं हैं. शुक्रवार को ही केरल  (Kerala) में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के तीसरे मामले की पुष्टि की गई हैं. इन सब मामलों में एक बात कॉमन है. ये तीनों मामले केरल राज्य में आए हैं और जिन मरीजों में मंकीपॉक्स के संक्रमण की पुष्टि हुई वो तीनों ही खाड़ी देशों (Gulf Countries) से भारत लौटे हैं. नौ दिनों के अंदर तीन केस सामने आने से केरल राज्य का स्वास्थ्य विभाग सकते  में है. पांच-पांच दिनों के अंदर ही इस राज्य में तीन मामले मंकीपॉक्स के पाए गए हैं, हालांकि इन मरीजों के यात्रा इतिहास (Travel History ) से इस बीमारी को समझने और इससे निपटने में राज्य सहित देश की स्वास्थ्य एजेंसियों को मदद मिल सकती है.


तीसरा यूएई दुबई से केरल आया


केरल में मंकीपॉक्स का तीसरा केस शुक्रवार को सामने आया है. छह जुलाई को 35 साल का यह व्यक्ति (UAE) यूएई से मल्लपुरम (Malappuram) लौटा था. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज (Veena George) ने बताया कि  बुखार की शिकायत के बाद छह जुलाई को यूएई से लौटे इस व्यक्ति को 13 जुलाई को बुखार की शिकायत होने पर मंजेरी मेडिकल कॉलेज ( Manjerry Medical College) अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 15 तारीख से उसमें मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने लगे और 22 जुलाई को टेस्ट में पुष्टि होने के बाद उसका इसी अस्पताल में इलाज चल रहा है. राज्य स्वास्थ्य मंत्री जार्ज का कहना है कि उसके परिवार और उसके करीबी संपर्क में आने वाले लोगों को भी निगरानी (Under Observation) में रखा गया है.


मंकीपॉक्स का दूसरा केस 18 जुलाई को आया


भारत में 18 जुलाई को केरल के कन्नूर (Kannur) जिले में मंकीपॉक्स का दूसरे केस की पुष्टि हुई थी. पहले केस की पुष्टि होने के पांच दिन बाद ही मंकीपॉक्स का यह दूसरा मामला राज्य में दर्ज किया गया. मंकीपॉक्स के संक्रमण का शिकार 31 साल का यह व्यक्ति भी 13 जुलाई को दुबई (Dubai) से कन्नूर लौटा था. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ( Health Minister Veena George ) ने बताया था कि इसे कन्नूर के ही सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है.


14 जुलाई को मंकीपॉक्स की पहली दस्तक


जुलाई के दूसरे हफ्ते में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से 35 साल का एक शख्स केरल लौटा था और 14 जुलाई को उसमें मंकीपॉक्सले की पुष्टि हुई थी. इसे तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram)मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. यह देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला था.  इस मामले को संजीदगी से लेते हुए आनन-फानन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक उच्च-स्तरीय बहु-अनुशासनात्मक केंद्रीय टीम केरल रवाना कर दी थी. ये टीम अभी भी राज्य में तैनात है.  


केरल में मंकीपॉक्स से निपटने की तैयारीयां


केरल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की भेजी गई टीम राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों (Public Health Measures) को लागू करने में राज्य के मेडिकल ऑफिसर की मदद कर रही है. तो उधर राज्य की तरफ से मंकीपॉक्स को लेकर 14 जिलों में अलर्ट कर दिया गया है. राज्य के चारों एयरपोर्ट पर बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए हेल्प डेस्क (Help Desks) की व्यवस्था की गई है. मंकीपॉक्स के मामलों को देखते हुए देश के इस दक्षिणी राज्य ने 19 जुलाई को एनआईवी आलप्पुझा (अलेप्पी) ( NIV Alapuzha) में मंकीपॉक्स परीक्षण शुरू किया है. पुणे से एनआईवी आलप्पुझा में मंकीपॉक्स परीक्षण किट लाए गए हैं. राज्य के सभी जिलों से नमूनों को अलप्पुझा भेजा जा रहा है. केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज कहती हैं कि राज्य में एक नई बीमारी की सूचना मिली है, उसके बाद से ही सभी सावधानी बरतते हुए परीक्षण किए जा रहे हैं.  केरल में ही नमूनों का परीक्षण होने से नतीजे मिलने में लगने वाला वक्त कम हो जाएगा.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किए नए निर्देश


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स बीमारी से बचने के लिए  शुक्रवार को नए दिशानिर्देश जारी किए. ये नए दिशा-निर्देश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जारी किए गए हैं. मंत्रालय ने आम जनता को बीमारी से बचने के लिए मरे या जीवित जंगली जानवरों के संपर्क में न आने की हिदायत दी है. खासकर बंदरों, चूहों, गिलहरी,से दूर रहने और इस तरह के जानवरों का मांस न खाने की सलाह दी है. हालांकि मंत्रालय ने ये भी कहा है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है.इस बीमारी में चेचक की वैक्सीन 85 फीसदी तक कारगर साबित होती है. यह बीमारी मरीज और उसके इस्तेमाल किए कपड़ों के संपर्क में आने के साथ ही मरीज की श्वसन बूंदों से भी फैलती है, हालांकि कुछ मामलों में यह यौन संबंध के जरिए भी फैलता है.


डब्ल्यूएचओ ने भी जारी की गाईडलाइन्स


विश्व स्वास्थ्य संगठन-डब्ल्यूएचओ (World Health Organization-WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक (Zoonotic) संक्रमण है. यह बीमारी संक्रमित जानवरों के जरिए इंसानों में फैलती है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स का अभी तक कोई प्रमाणित उपचार नहीं है. केवल लक्षणों को देखकर सहायक उपचारों से ही इस पर काबू पाया जा सकता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स में आमतौर मरीज में बुखार, दाने और गांठ दिखती हैं. इसके लक्षण दो से चार हफ्तों में दिखाई पड़ते हैं. हालांकि ये खुद ही ठीक भी हो जाते हैं. हाल के वक्त में इस बीमारी से मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 फीसदी रहा है. 


मंकीपॉक्स का इलाज


स्वास्थ्य मंत्रालय की जारी गाइडलाइन्स के मुताबिक संक्रमितों को तुरंत आइसोलेट (Isolate) किया जाना चाहिए. इस बीमारी के दौरान निकले चकत्ते को सामान्य एंटीसेप्टिक से साफ करना चाहिए, बड़े घावों को खुला नहीं छोड़ना चाहिए. इस संक्रमण में मुंह के छालों के लिए गरारे करने की सलाह दी गई है. 


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