Monkeypox Virus: मंकीपॉक्स के मामले दुनियाभर के कई देशों में देखने को मिल रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रविवार को कहा कि बीते 10 दिनों में 12 देशों में 92 मामले मंकीपॉक्स के दर्ज हुए हैं. ये आकंड़ा साफ दर्शाता है कि आने वाले दिनों में ये मामले और बढ़ सकते हैं.
दरअसल इन मामलों में ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, अमेरिका, कनाडा में ऐसे मरीज मिले हैं जिन्होंने पहले कभी अफ्रीका की यात्रा नहीं की है. बता दें, अभी तक मामले केंद्रीय और पश्चिमी अफ्रीकी देशों से ही सामने आ रहे थे. अब अफ्रीका से बाहर दर्ज हो रहे मामलों को लेकर वैज्ञानिक भी परेशान हैं कि ये कुछ और नया तो नहीं हो रहा.
नाइजीरियाई विज्ञान अकादमी के पूर्व चेयरमेन ओयेवाले तोमोरी डब्ल्यूएचओ के कई सलाहकार बोर्ड में हैं. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, "मैं परेशान हूं ये देख कर कि रोज इस बीमारी से और देशों के लोग संक्रमित हो रहे हैं. ये बीमारी इस तरह की नहीं है जैसा हमने पश्चिम अफ्रीका में देखा. जिस कारण इस बात की आशंका ज्यादा हो रही है कि यूरोप और अमेरिका में कुछ नया तो नहीं हो रहा." उन्होंने बताया कि यूरोप में इस बीमारी से अभी किसी की मौत नहीं हुई है.
भारत सरकार भी अलर्ट पर
भारत सरकार भी अब अलर्ट मोड में आ गई है. केंद्र सरकार ने एनसीडीसी और आईसीएमआर को विदेश में मंकीपॉक्स की स्थिति पर नज़र रखने को कहा है. साथ ही प्रभावित देशों से आने वाले संदिग्ध बीमार यात्रियों के नमूने की जांच के निर्देश दिए हैं. बता दें, देश में अब तक इस बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है. वहीं, ब्रिटेन, स्पेन, इटली समेत अन्य कई देशों में इसके मामले तेजी से दर्ज हो रहे हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इसमें मृत्यु दर 10 प्रतिशत तक हो सकती है.
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स एक चिकनपॉक्स की तरह का वायरस है लेकिन इसमें अलग तरह का वायरल संक्रमण होता है. ये सबसे पहले साल 1958 में कैद हुए एक बंदर में पाया गया था. साल 1970 में ये पहली बार ये किसी इंसान में पाया गया. ये वायरस मुख्यरूप से मध्य औऱ पश्चिम अफ्रीका के वर्षावन इलाकों में पाया जाता है.
कैसे फैलता है इंफेक्शन
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के पास जाने या किसी तरह से उनके संपर्क में आने से फैल जाता है. ये वायरस मरीज के घाव से निकलते हुए आंख, नाक, कान और मुंह के जरिए शरीर में घुस जाता है. इसके अलावा बंदर, चूहे और गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से भी इस वायरस के फैलने का डर बना रहता है. इसके अलावा ये वायरस यौन संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वो समलैंगिक लोगों से संबंधित कई मामलों की जांच भी कर रहा है. कहा जाता है कि ये वायरस चेचक की तुलना में कम घाटक होता है.
क्या हैं इस इन्फेक्शन के लक्षण
मंकीपॉक्स में आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिए ये शरीर में दस्तक देता है. इससे कई तरह की मेडिकल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं. इस बीमारी से संबंधित लक्षण 2 से 4 सप्ताह तक दिखते हैं. कहते हैं कि ये अपने आप दूर होते चले जाते हैं. कई बार मामला गंभीर हो सकता है. हाल ही के समय में मृत्यु दर का आंकड़ा 3 से 6 फीसदी तक रहा है. ताजा मामलों में ब्रिटेन में ही 20 लोगों की मौत का आंकड़ा सामने आया था.
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