Monkeypox vs Chickenpox: पिछले दो सालों से दुनियाभर में कोरोना संक्रमण ने तबाही मचा रखी है. लोग कोरोना के साथ जीना सीख ही रहे थें कि मंकीपॉक्स (Monkeypox) ने दस्तक दे दी है. यह वायरस दुनिया के सभी देशों में फैल रहा है. भारत में भी इसने दस्तक दे दी है. इस बीच पाया गया कि मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स के लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं. त्वचा पर चकत्ते और बुखार दोनों के सामान्य लक्षणों में एक है. ऐसे में सवाल उठता है कि कोई भी मरीज इन दोनों वायरस के अंतर को कैसे समझे.
डॉक्टरों का मानना है कि चिकनपॉक्स और मंकीपॉक्स के लक्षण आने के तरीक में अंतर है. डॉक्टरों की माने तो मंकीपॉक्स एक वायरल ज़ूनोसिस (जानवरों से इंसान में फैलने वाली बीमारी) है, जिसमें चेचक के रोगियों में अतीत में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं. मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित व्यक्ति या जानवर के माध्यम से मनुष्यों में फैल सकता है. यह दूषित सामानों से भी फैल सकता है. संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले तरल पदार्थ, घाव, सांस की बूंदों (Respiratory Droplets) और बिस्तर जैसी सामग्री के निकट संपर्क में आने से भी मंकीपॉक्स वायरस फैल सकता है.
मेदांता हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजी के विजिटिंग कंसल्टेंट डॉ. रमनजीत सिंह ने कहा कि बरसात के मौसम में वायरल संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है. यही वह समय है जब ज्यादा लोग चिकनपॉक्स या अन्य वायरस के शिकार होते हैं. चिकनपॉक्स के मरीजों में चकत्ते और मतली जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं. यही वह वजह है जिससे मरीज भ्रमित हो रहे हैं और चिकनपॉक्स को मंकीपॉक्स समझने की गलती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज में चेचेक के लक्षण नजर आए तो सबसे पहले उन्हें डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
मंकीपॉक्स के क्या हैं लक्षण?
मंकीपॉक्स के संक्रमण से संक्रमित मरीज के शरीर में चकत्ते, बुखार, सुस्ती, सिरदर्द और लिम्फ नोड्स की सूजन जैसे लक्षण (Monkeypox Symptoms) पाए गए हैं. WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स चेचक की तरह संक्रामक नहीं है और इससे गंभीर बीमारी नहीं होती है. वायरस से संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक की अवधि 6 से 13 दिनों तक होती है. हालांकि, यह कभी-कभी 5 से 21 दिनों के बीच भी हो सकता है. इसके लक्षण 2- 4 हफ्ते तक भी रह सकते हैं. त्वचा का फटना आमतौर पर बुखार आने के एक से तीन दिनों के बाद होता है. चेहरे और शरीर के दूसरे अंगों पर चकत्ते अधिक दिखाई देते हैं. चकत्ते चेहरे को प्रभावित कर सकते हैं. 75 फीसदी मामलों में यह हाथ की हथेलियों और पैरों के तलवों को प्रभावित करते हैं.
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