नई दिल्ली: देश के ज्यादातर हिस्सों में अब मानसून की बारिश हो रही है. कहीं बारिश राहत लेकर आई है तो कहीं आफत. हिमाचल के चंबा में रावी नदी का रौद्र रूप देखने को मिला है. यहां भारी नुकसान हुआ है.जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में झेलम नदी का जलस्तर खतरे के निशान के पास पहुंच चुका है. वहीं, राजस्थान के बीकानेर में बारिश का पानी लोगों के घरों और सड़कों में भरा हुआ है. यहां दो लोगों की मौत हो चुकी है. पूरे देश में मानसून 15 जुलाई तक आना था, लेकिन ये अभी ही हर जगह पहुंच गया है.
मौसम के बारे में क्या है आज का अपडेट?
भारतीय मौसम विभाग ने शुक्रवार को कहा कि मानसून तय समय से 17 दिन पहले ही पूरे देश में पहुंच गया है. आज यूपी, पंजाब, उत्तराखंड समेत पूर्वोत्तर में बारिश का अनुमान है. हिमाचल के चंबा, शिमला और मनाली में बारिश से पर्यटन को बड़ा नुकसान हुआ है. जम्मू कश्मीर के दक्षिण इलाकों अनंतनाग, कुलगाम में बाढ़ जैसे हालात हैं.
किस राज्य में क्या है हाल?
राजस्थान के बीकानेर में मां-बेटी की मौत
देश के कई हिस्सों में इस समय मानसून की जोरदार बारिश हो रही है. बारिश की वजह से राजस्थान के बीकानेर में एक घर ढह गया. जिससे मां और बेटी की मौत हो गई. यहां के नोखा इलाक़े में बारिश की वजह से पूरा मकान जमीदोंज हो गया. मकान के मलबे में दबकर एक महिला और उसकी बच्ची की मौत हो गई है. हादसे की सूचना मिलने पर एसडीएम, नगर पालिका अध्यक्ष सहित तमाम प्रसाशनिक अधिकारी मौके पर पहुचें और रेस्क्यू आपरेशन चलाकर जेसीबी की मदद से मलबे को हटाकर एक बच्ची को सकुशल बाहर निकाला गया.
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले का हाल-
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में लगातार बारिश से कई गांव जलमग्न हो चुके हैं. तो कई पर खतरा मंडरा रहा है. पांचली, रोजड नदी, शिवना और जाखम समेत हर नदी उफान पर है. जिसकी वजह से कई रास्ते बंद हो चुके हैं. पुल भी पानी में समा गए हैं. प्रतापगढ़ शहर की कॉलोनियां में इतना पानी भर चुका है कि लोग घरों में बंधक बनकर रह गए हैं.
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में पिछले चार दिन से भारी बारिश हो रही है. जिले के करीब 30 गांव बुरी तरह प्रभावित बताए जा रहे हैं. प्रतापगढ़ राजस्थान का दक्षिणी जिला है. जो मध्यप्रदेश के मंदसौर, रतलाम और नीमच जिलों से लगता है. राजस्थान के बाकी हिस्सों की तुलना में यहां हर साल बहुत ज्यादा बारिश होती है.
हिमाचल प्रदेश के चंबा में तबाही मचा रही है रावी नदी
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में रावी नदी भारी तबाही मचा रही है. रावी नदी से सबसे बुरा हाल निचले इलाकों का है. हिमाचल प्रदेश में अब तक 96 मिलीमीटर बारिश दर्ज हो चुकी है. पिछले दो दिन में ही 16 फीसदी से ज्यादा बारिश हुई है. जिसकी वजह से बांध लबालब हो गए हैं. और पानी रावी और व्यास नदियों में लगातार छोड़ा जा रहा है. यही पानी लोगों के लिए आफत बन रहा है.
मनाली लेह नेशनल हाईवे पर मढ़ी के पास भी पहाड़ों से चट्टानें गिरी हैं. जिसकी वजह से 7 घंटे हाईवे ठप रहा. सैकड़ों पर्यटक फंसे रहे. तो मनाली में भी भारी बारिश हो रही है. जबकि लाहौल-स्पीति जिले में भी कई जगह सड़क पर मलबा आने से सड़कें बंद हो गई हैं. हिमाचल के सबसे गर्म इलाके ऊना में तो तीन दिन में 91.2 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 30 जून तक हिमाचल को कोई राहत नहीं मिलने वाली है.
दक्षिण कश्मीर में बाढ़ जैसे हालात-
कश्मीर घाटी में भारी बारिश हो रही है, जिसके चलते दक्षिण कश्मीर में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. कल शाम तक झेलम नदी में पानी का लेवल 21.34 फीट था जो कि बाढ़ के निशान से ऊपर है, जबकि श्रीनगर में झेलम में जलस्तर 13.34 फीट है, जो खतरे के निशान 16 फीट से थोड़ा नीचे हैं. झेलम का जलस्तर 16 होने पर बाढ़ घोषित हो जाती है. बारिश हो रही है और नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. अनंतनाग, राजौरी, कुलगाम हर जगह पानी लोगों की मुसीबत बढ़ा रहा है.
उत्तराखंड में गढ़वाल के श्रीनगर में भी बारिश का कहर
उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके के श्रीनगर लिए चलते हैं. यहां अलकनंदा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने से टापू में कई जदूरो की जान पर बन आयी. एक मजदूर आनन-फानन में अपनी जान बचाने के लिए ट्रक पर चढ़ गया. काफी मशक्कत के बाद मजदूरों को बचाया गया. दरअसल अलकनंदा नदी पर बनी जलविद्युत परियोजना से अचानक पानी छोड़ा गया और वहां टापू पर खनन का काम करने वाले मजदूर बीच टापू में फस गए. टापू पर लगभग 30 से 40 लोग फस गये. साथ ही खनन का सामान भरते 20 ट्रक भी फसे रहे.
एक जुलाई को पूरे देश में पहुंचना था मानसून
आईएमडी के मुताबिक, मानसून 15 जुलाई को पूरे देश में पहुंचना था लेकिन पश्चिमी राजस्थान में बारिश होने लगी. इस साल पूर्व की ओर से चलने वाली हवाओं की वजह से अच्छी बारिश के कारण वहां से चलने वाली हवाएं तय समय से पहले ही पूरे देश में बारिश लेकर आई.
मानसून के चार महीने का मौसम आम तौर पर एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर को खत्म होता है. इस साल मानसून एक जून के तय समय से तीन दिन पहले ही 29 मई को केरल पहुंच गया. इससे जून के पहले 15 दिन में पश्चिमी तट पर बारिश हुई. बहरहाल, संक्षिप्त अंतराल के बाद उसने आगे बढ़ना शुरू किया. देश में दक्षिण पश्चिम मानसून से 70 फीसदी बारिश होती है.