Monsoon session 2023: कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बुधवार (26 जुलाई) को केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को दिया. इसे लोकसभा स्पीकर ने मंजूर कर लिया. दरअसल, मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के मुद्दे पर विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में बयान की मांग कर रहा है.


नियमानुसार माना जा रहा है कि अगले हफ्ते संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की जा सकती है. मानसून सत्र की शुरुआत होने के साथ ही संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के चलते कार्यवाही बाधित रही है. बुधवार (26 जुलाई) को भी 12 बजे तक के लिए लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित रही. 


अगर अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सुबह 10 बजे दिया जाता है तो उस पर नियम के मुताबिक स्पीकर उसी दिन फैसला लेते हैं. आइए जानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव और उसके नियम-कायदों से जुड़ी 10 बड़ी बातें...


ये हैं अविश्वास प्रस्ताव की 10 बड़ी बातें


1. अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस मिलने के बाद लोकसभा अध्यक्ष यह देखेंगे कि नियम के मुताबिक इस नोटिस को कम से कम 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है या नहीं और फिर वह इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय और तारीख तय करेंगे. 


2. कोई भी लोकसभा सांसद अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है बशर्ते उस सांसद के पास 50 से अधिक लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर हों.


3. लोकसभा की प्रक्रिया और आचरण के नियमों का अनुच्छेद 198 अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया के बारे में बताता है. इस नियम के मुताबिक लोकसभा सदस्य को सुबह 10 बजे से पहले ऐसा प्रस्ताव लाने की लिखित सूचना देनी होगी उसके बाद स्पीकर दिन, समय और तारीख तय करेंगे.


4. लोकसभा स्पीकर को जब भी कोई सदस्य तय नियम के तहत नोटिस देता है तो उनके अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने के 10 दिनों के भीतर ही सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करना पड़ता है. यदि सरकार अपना बहुमत नहीं साबित कर पाती है तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिमंडल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है.


5. मोदी सरकार के 9 सालों के शासन में ऐसा पहली बार नहीं है कि विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव लाया है, इससे पहले भी विपक्ष 2018 में ऐसा कर चुका है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था.


6. लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को लाया गया था.


7. 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 325 सांसदों ने इसके खिलाफ तो 126 सांसदों ने इसके समर्थन में मतदान किया था, जिसके बाद यह अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था.


8. अगर हम मौजूदा सरकार पर बात करें तो सरकार के पास संसद के दोनों ही सदनों में बहुमत है और इसलिए अविश्वास प्रस्ताव को विपक्षी गुट की पहली मजबूत प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है. विपक्ष पीएम मोदी से मणिपुर पर संसद में बोलने की मांग कर रहा है. 


9. अविश्वास प्रस्ताव ने एनडीए बनाम भारत की राजनीतिक लड़ाई को और तेज कर दिया. पीएम मोदी ने मंगलवार को भारत और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच समानता बताई और कहा कि देश को विभाजित करने वाले संगठनों के नाम में भी भारत था. 


10. केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर कहा कि अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार हर स्थिति के लिए तैयार है. हम मणिपुर पर चर्चा चाहते हैं. सत्र शुरू होने से पहले, वे चर्चा चाहते थे. जब हम सहमत हुए तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया. जब हम नियमों पर सहमत हुए तो वे नया मुद्दा लेकर आए कि प्रधानमंत्री आएं और चर्चा शुरू करें. मुझे लगता है कि ये सभी बहाने हैं.


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