Monsoon Session 2023: शरद पवार पर नया सस्पेंस! दिल्ली अध्यादेश बिल पेश होने के समय सदन में नहीं रहेंगे मौजूद!
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के प्रशासन को लेकर अपने एक फैसले में कहा था कि दिल्ली का प्रशासन जनता की चुनी हुई सरकार को होना चाहिए. केंद्र सरकार ने इसी फैसले को एक अध्यादेश लाकर बदल दिया था.
Parliament Monsoon Session 2023: दिल्ली अध्यादेश के खिलाफ एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के रुख को लेकर असमंजसता बढ़ गई है. क्योंकि यह बिल सोमवार-मंगलवार में से किसी एक दिन संसद के पटल पर पेश किया जाना है. लेकिन अब कहा यह जा रहा है कि जिस दिन यह बिल पेश किया जाएगा क्या उस दिन शरद पवार राज्यसभा में मौजूद रहेंगे?
क्योंकि कहा तो यह जा रहा है कि जिस दिन सरकार सदन में यह बिल लेकर आ रही है ठीक उसी दिन पीएम मोदी को पूणे में तिलक पुरुस्कार दिया जाना है. यह तिलक पुरुस्कार शरद पवार ही पीएम मोदी को देने वाले हैं, तो ऐसे में सवाल उठता है कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली अध्यादेश पर समर्थन की बात कह चुके पवार का क्या रुख रहेगा. वहीं आम आदमी पार्टी चाहती है कि जिस दिन यह बिल आता है उस दिन शरद पवार सदन में मौजूद रहें.
क्या है दिल्ली अध्यादेश?
दिल्ली अध्यादेश केंद्र सरकार को यह शक्ति देता है कि वह केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में कई प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेवारी राज्य के उपराज्यपाल (एलजी) की होगी न कि दिल्ली के सीएम की. इसी सिलसिले में सबसे महत्वपूर्ण समूह-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की पूरी जिम्मेवारी और जवाबदेही राज्यपाल की होगी.
इसी कानून को कायम रखने के लिए केंद्र सरकार ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023’ जारी किया था. इसी बिल को सोमवार (31 जुलाई) को गृहमंत्री अमित शाह संसद में पेश करेंगे. केंद्र सरकार को यह अध्यादेश लाने की जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की तरफ से दायर किए गए एक फैसले में उसके हक में फैसला दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के समूह ए के अधिकारियों का प्रशासन दिल्ली सरकार के पास होना चाहिए, क्योंकि वह जनता के द्वारा चुनी गई सरकार है. उन्होंने कहा अगर सरकार के पास इनका नियंत्रण नहीं होगा तो वह उनकी बात नहीं सुनेंगे. इसी फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार उपरोक्त अध्यादेश लेकर आई थी.