Parliament Session: पिछली बार राफेल डील पर हुआ था संग्राम... इस बार मणिपुर और नूंह हिंसा पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष
Parliament Monsoon Session: साल 2018 में मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने राफेल के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा था. इस बार मणिपुर और नूंह हिंसा पर घेरने की तैयारी है.
Monsoon Session: संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई को शुरू हुआ था. राज्यसभा और लोकसभा दोनों ही सदनों में मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग लेकर गतिरोध चलता आ रहा है. पिछली बार राफेल डील के मुद्दे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को घेरा था और इस बार वो मणिपुर और नूंह हिंसा पर सरकार को घेरते दिख सकते हैं.
विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ 25 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया और 26 जुलाई को नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. इसके बाद 1 अगस्त को फैसला किया गया कि इस प्रस्ताव पर 8 से 10 अगस्त के बीच बहस होगी.
साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी बहाल हो गई है. अब उन्हें अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार को घेरने की जिम्मेदारी दी गई है. प्रस्ताव पर मंगलवार (08 अगस्त) को दोपहर में प्रश्नकाल के बाद चर्चा शुरू होगी.
राफेल डील पर राहुल गांधी
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मणिपुर हिंसा मुद्दा मुख्य तौर से उठाया जाएगा और इसके साथ ही नूंह हिंसा के मुद्दे पर हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिकता फैलाने को लेकर विपक्ष बीजेपी को घेरेगा. इस बार राहुल गांधी मणिपुर और नूंह में हुई हिंसा के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते दिखेंगे. पिछली बार उन्होंने सरकार को राफेल डील के मुद्दे पर सरकार को घेरा था.
अविश्वास प्रस्ताव पर हुई थी चर्चा
साल 2018 में संसद के अंदर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. इस दौरान राहुल गांधी ने राफेल डील के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा था. उस समय मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्री हुआ करती थीं. उन्होंने राफेल की डील मामले में पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया था. राहुल गांधी ने कहा था, “मेरा सवाल है कि क्या बिना वायुसेना से बात किए राफेल का सौदा बदला गया?”
इसके बाद साल 2019 में संसद सत्र के दौरान राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर एक ऑडियो टेप चलाने की मांग की थी. कांग्रेस का दावा था कि गोवा कैबिनेट की बैठक में उस वक्त के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने राफेल फाइलों से जुड़ा एक बड़ा बयान दिया और कहा कि उनका कोई कुछ नहीं कर सकता.