नई दिल्ली: संसद का 19 जुलाई से शुरू हुआ मॉनसून सत्र अपने पूर्व निर्धारित समय से दो दिन पहले ही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. पेगासस जासूसी मामले और तीन कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लोकसभा में 96 घंटों में से 21 घंटे राज्यसभा में 98 घंटों में महज 28 घंटे ही कामकाज हो पाया.


सदन में कामकाज अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा- लोकसभा अध्यक्ष


संसद में पूरे सत्र के दौरान गतिरोध बना रहा हालांकि राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची बनाने का अधिकार देने संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पर दोनों सदनों में सभी विपक्षी दलों ने चर्चा में भाग लिया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सुबह कार्यवाही शुरू होने पर बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई और इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘सदन में कामकाज अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा.’’


बिरला ने बताया कि व्यवधान के कारण 96 घंटे में करीब 74 घंटे कामकाज नहीं हो सका. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘निरंतर व्यवधान के कारण महज 22 प्रतिशत कार्य निष्पादन रहा.’’ उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान संविधान (127वां संशोधन) विधेयक सहित कुल 20 विधेयक पारित किये गए. चार नये सदस्यों ने शपथ ली.


संसद में सदस्यों ने 331 मामले उठाये


बिरला ने बताया कि मॉनसून सत्र के दौरान 66 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिये गए और सदस्यों ने नियम 377 के तहत 331 मामले उठाये. उन्होंने कहा कि इस दौरान विभिन्न स्थायी समितियों ने 60 प्रतिवेदन प्रस्तुत किये, 22 मंत्रियों ने वक्तव्य दिये और काफी संख्या में पत्र सभापटल पर रखे गए. सत्र के दौरान अनेक वित्तीय एवं विधायी कार्य निष्पादित किये गए.


इससे पहले बिरला ने सदन को चार पूर्व सदस्यों के निधन की जानकारी दी और उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के वक्तव्य के बाद वंदे मातरम की धुन बजाई गयी और सदन की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. सदन में कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित अनेक केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं अन्य सदस्य मौजूद थे.


कई विधेयक भी पारित किए गए


मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा ने वर्ष 2021-22 की अनुदान की अनुपूरक मांगें- प्रथम खंड और वर्ष 2017-18 की अनुदान की अतिरिक्त मांगें एवं इनसे संबंधित विनियोग विधेयकों को मंजूरी दी. निचले सदन में अन्य पिछड़ा वर्गों से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता संशोधन विधेयक 2021, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग विधेयक 2021 भी पारित हुए.


सदन ने कराधान विधि संशोधन विधेयक 2021, अधिकरण सुधार विधेयक 2021, अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक 2021, राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयक 2021, भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण संशोधन विधेयक 2021, साधारण बीमा कारोबार राष्ट्रीयकरण संशोधन विधेयक, केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2021, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक 2021, राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग (संशोधन) विधेयक 2021, निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 तथा सीमित दायित्व भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021 को भी मंजूरी दी.


ओबीसी से संबंधित संविधान (127 वां संशोधन) विधेयक पारित


राज्यसभा में कल सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने से पहले करीब छह घंटे तक चर्चा कर ओबीसी से संबंधित संविधान (127 वां संशोधन) विधेयक को पारित किया गया. हालांकि इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने विभिन्न मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया. हंगामे के बीच तीन और विधेयकों को पारित किया गया. इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की.


राज्य सभा में इससे पहले कोविड की स्थिति को लेकर हुई चर्चा में सभी दलों ने हिस्सा लिया था और उस दौरान सदन में सामान्य ढंग से कामकाज हुआ था. पेगासस मामले पर सदन में बयान दे रहे सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्चिनी वैष्णव के हाथों से उनका बयान छीनने और उसे फाड़ने के कारण तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. राज्यसभा सचिवालय द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के अनुसार वर्तमान सत्र में मात्र 28 प्रतिशत कामकाज हुआ. इस दौरान सदन में 28 घंटे 21 मिनट कामकाज हुआ और हंगामे के कारण 76 घंटे 26 मिनट का कामकाज बाधित हुआ. सत्र के दौरान 19 विधेयक पारित किए गये और पांच विधेयकों को पेश किया गया.


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