नई दिल्लीः संसद के मानसून सत्र में कई मुद्दों को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में तकरार जारी है. सरकार की कोशिश है कि संसद को सुचारू रूप से चलाई जाए तो वहीं विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में जुटी हुई है. पेगासस जासूसी कांड, किसानों के प्रदर्शन समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष लगातार सदन में सरकार से जवाब की मांग कर रही है. इसे लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में तकरार जारी है.


विपक्ष के शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है. इस कारण संसद की कार्यक्षमता काफी कम हो गई है. मौजूदा सत्र में लोकसभा में अभी तक जितना काम होना चाहिए उसमें से मात्र 14 प्रतिशत काम हो पाया है. मतलब साफ है कि पक्ष और विपक्ष के बीच तकरात में लोकसभा का करीब 86 प्रतिशत समय बरबाद हो गया है.


अगर राज्य सभा की बात करें तो यहां करीब 23 प्रतिशत ही काम हो पया है. ऐसे में साफ है कि राज्यसभा का भी करीब 77 प्रतिशत समय हंगामे की भेंट चढ़ गया है. इस अवधि में उच्च सदन में कोई भी काम नहीं पो पाया.


अभी तक मानसून सत्र में अगर देखा जाए तो 11.2 घंटे (मतलब दो दिन) और राज्यसभा में करीब 17.7 घंटे (यानि करीब तीन दिन) ही काम हो पाए हैं. बता दें कि ससंद का मानूसन सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ था और यह 13 अगस्त तक चलेगा.


संसद सत्र चलना क्यों जरूरी है


संसद सत्र न चलने के कारण सरकार की ओर से विपक्ष को घेरने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों और सांसदों के साथ मिलकर विपक्षी दलों के खिलाफ रणनीति भी बनाई लेकिन अभी तक विपक्ष सदन में दबाव में नहीं आ पाया है.


एक तरफ सरकार जहां अपने मंत्रियों और घटक दलों के सांसदों के साथ मिलकर विपक्ष की रणनीति को फेल करने के लिए जुटे हुए हैं तो वहीं विपक्षी दलों के सांसद सरकार की हर संभव किरकिरी करवाने के लिए बैठक कर रहे हैं.


लेकिन पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में जारी तकरार के कारण अंतिम तौर पर जनता को ही नुकसान हो रहा है. क्योंकि संसद भवन जनता और सरकार के बीच में संबंध स्थापित करता है. सत्र के दौरान सासंद लोकहित के मुद्दों को सदन में उठाते हैं. 


ऐसे में अगर सत्र नहीं चल पाता है तो जनता और सरकार के बीच पुल टूट जाएगा और लोकहित के मुद्दे दब जाएंगे. क्योंकि संसद भवन पहुंचे जनप्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं.


बिना बहस के पास हुए बिल


पक्ष विपक्ष के बीच जारी गतिरोध के कारण कई बिल बिना कोई बहस के ही पास हो गए हैं. बिना बहस के बिल पास होना स्वास्थ्य लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. ऐसे में आपको जानना जरूरी हो जाता है कि कौन-कौन से बिल बिना बहस के पास हुए हैं.


आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक को संसद से तीन अगस्त को पास कर दिया गया. इस बिल पर कोई बहस नहीं हुई और इसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया. वहीं 28 जुलाई को दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक 2021 को भी बिना किसी बहस के पास कर दिया गया.


26 जुलाई को राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान, उद्यमिता और प्रबंधन विधेयक को तो पास करने में सदन में मात्र 6 मिनट का समय लगा. यह बिल भी बिना किसी बहस के पास हो गया. इसी दिन एक अन्य बिल भी पास किया गया. फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2020 को पास करने में 13 मिनट लगे जबकि भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 को पास करने में मात्र 14 मिनट में पारित कर दिया गया.


पीआरएस लेजिसलेटिव की ओर से संकलित आंकड़ों के अनुसार अगर देखा जाए तो इन सभी पांच बिलों को पास करवाने में मात्र 44 मिनट का समय लगा. बिल पास करवाने में लगा समय यह बताता है कि बिना बहस के सभी बिलों को पास कर दिया गया है.