नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में प्रश्नकाल निलंबित करने को लेकर आलोचना के बीच सरकार ने बुधवार को कहा कि वह किसी भी चर्चा से भाग नहीं रही है और सभी विपक्षी दलों को इस कदम के बारे में पहले ही बता दिया गया था और उनमें से अधिकतर इस पर सहमत थे. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार अतारांकित प्रश्नों के लिए तैयार है और उसने दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को इसे सुविधाजनक बनाने का अनुरोध किया है.


अतारांकित प्रश्न वे प्रश्न होते हैं, जिनके लिखित उत्तर मंत्रियों की ओर से दिये जाते हैं, जबकि 'तारांकित प्रश्न' वे होते हैं, जिनके उत्तर प्रश्नकाल के दौरान सदन में मौखिक रूप से दिया जाना वांछित होता है.


प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘हम किसी भी चर्चा से भाग नहीं रहे हैं और हम उन सभी मुद्दों या विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, जिसका निर्णय कार्यमंत्रणा समिति में लिया जाएगा.’’


जोशी ने यह उल्लेख किया कि मानसून सत्र कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अभूतपूर्व परिस्थितियों में हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर प्रश्न काल होता है, तो मंत्रालयों के अधिकारियों को संसद में आना होगा और इससे भीड़ हो सकती है.


मंत्री ने कहा कि इसलिए सदस्यों की सुरक्षा के लिए मानसून सत्र के दौरान कोई प्रश्नकाल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सत्र के लिए अधिसूचना जारी होने से पहले सरकार ने सभी विपक्षी दलों से संपर्क किया था और उनमें से अधिकांश सत्र के दौरान प्रश्नकाल आयोजित नहीं करने पर सहमत थे. उन्होंने कहा कि कम से कम 30 मिनट का शून्यकाल होगा.


विपक्षी पार्टियां कर रही हैं विरोध


कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और भाकपा सहित कई विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रश्नकाल स्थगित करने के फैसले की आलोचना की है और सरकार पर आरोप लगाया है कि वह कोविड-19 महामारी के नाम पर ''लोकतंत्र की हत्या'' और ''संसद को एक नोटिस बोर्ड'' बनाने की कोशिश कर रही है.


आज इसी मामले पर कांग्रेस सांसद ने सरकार को घेरने की कोशिश की. शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा, "मैंने चार महीने पहले कहा था कि ताकतवर नेता लोकतंत्र को दबाने के लिए महामारी का बहाना बना सकते हैं. संसद सत्र का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है, जिसमें बताया गया है इस बार प्रश्नकाल नहीं होगा. हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना सही है?"



थरूर ने आगे ट्वीट में लिखा, "सरकार से सवाल करना संसदीय लोकतंत्र में ऑक्सीजन की तरह है. लेकिन यह सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड की तरहव बनाना चाहती है और अपने बहुमत का रबर स्टैम्प की तरह इस्तेमाल करके कुछ भी संसद में पास कराना चाहती है."


वहीं तृणमूल कांग्रेस ने प्रश्नकाल को स्थगित किए जाने का कड़ा विरोध किया है. राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने फैसले का विरोध करते हुए ट्विटर पर लिखा कि सांसदों से प्रश्न पूछने का अधिकार छीन लिया गया है. डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि 1950 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है. उनका कहना है कि जब संसद की कार्यवाही के लिए समय कम नहीं किया गया है तो फिर प्रश्नकाल क्यों स्थगित किया गया?


अधीर रंजन चौधरी ने लिखी थी चिट्ठी
लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस के सदन में नेता अधीर रंजन चौधरी ने कुछ दिनों पहले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र लिखा था. उस पत्र में चौधरी ने लोकसभा स्पीकर से प्रश्नकाल और शून्यकाल स्थगित नहीं किए जाने की मांग की थी. विपक्षी नेताओं का कहना है कि प्रश्नकाल के दौरान सांसदों को सरकार से सवाल जवाब करने का मौका मिलता है, जिससे सरकार की जवाबदेही तय होती है.


प्रश्नकाल क्या होता है?
लोकसभा की कार्यवाही प्रश्न काल से ही शुरू होती है जिसमें सदस्यों के सवालों का सरकार जवाब देती है. प्रश्नकाल के तुरंत बाद दोपहर 12 बजे से सामान्य तौर पर शून्य काल का समय शुरू होता है, जिसमें सदस्य ज्वलन्त मुद्दे उठाते हैं.


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