Weather Update: दिल्ली में मानसून के लिए अभी करना होगा और इंतजार, जानिए मौसम का ताजा अपडेट
दिल्ली में पांच दिन बाद मानसून दस्तक दे सकता है. मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिणी पश्चिमी मानसून के कमजोर पड़ने के कारण दिल्ली में मानसून के आने में अभी कुछ और देर लग सकती है.
भारतीय मौसम विभाग India Meteorological Department (IMD) ने पहले भविष्यवाणी की थी दिल्ली में अपने नियत समय से 15 दिन पहले मानसून दस्तक दे देगा लेकिन यह भविष्यवाणी सच साबित नहीं हुई. अब मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि दिल्ली में पांच दिन बाद ही मानसून का प्रवेश संभव हो सकता है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने रविवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के धीमा होने के कारण दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ में मानसून का आगमन भी कमजोर हो गया है. साथ ही पंजाब, पश्चिमी यूपी और राजस्थान के बाकी हिस्सों में पांच दिन तक मानसून के आने की कोई संभावना नहीं है.
पश्चिमी हवा का पैटर्न बदलने के कारण मानसून के आगमन में देरी
इससे पहले मौसम विभाग के पहले के पूर्वानुमानों में कहा गया था कि दिल्ली और उत्तर पश्चिम भारत में मानसून का आगमन 15 जून तक हो जाएगा. अगर ऐसा होता तो मानसून इन इलाकों में समय से 15 दिन पहले आ जाता है. मौसम विभाग का कहना था कि बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के कारण मानसून के 15 दिन पहले आने की संभावना थी. लेकिन आईएमडी के मुताबिक पश्चिमी हवा का प्रभाव कमजोर पड़ने कारण मानसून के पहले आने की संभावना भी कमजोर पड़ गई. National Weather Forecasting Centre के वैज्ञानिक आर के जेनामनि ने बताया कि अगले पांच दिनों तक दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में मानसून आने की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि पश्चमी हवा का पैटर्न अनूकुल नहीं है जो मानसून के प्रवाह को कमजोर कर रहा है.
मानसून के बगैर 41 प्रतिशत अधिक बारिश
आईएमडी ने अपने बुलेटिन में कहा है कि राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और पंजाब के इलाकों में दक्षिण पश्चिम मानसून के पहले आने का अब कारण नहीं दिख रहा है. क्योंकि बड़े पैमाने पर हवा का रुख प्रतिकुल है. पूर्वानुमानों के तहत सारे संख्यात्मक मॉडलों में इस बात के कोई संकेत नहीं है कि इन क्षेत्रों में मानसून की बारिश होगी. मौसम विभाग के मुताबिक हालांकि देश के कई हिस्सों में अभी मानसून नहीं आया है लेकिन 1 से 20 जून के बीच देश में 41 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है. उत्तर पश्चिम भारत में इस अवधि के दौरान 83 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है जबकि मध्य भारत में 67 प्रतिशत और दक्षिणी प्रायद्वीप में 28 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है.
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