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राजस्थान: सियासी संकट के महीनों बाद अशोक गहलोत सरकार ने माना , केंद्रीय मंत्री और विधायकों का किया था फोन टैप

राजस्थान में सियासी संकट के आठ महीनों बाद अशोक गहलोत सरकार ने ये बात स्वीकार कर ली है कि केंद्रीय मंत्री और विधायकों का फोन टैप किया गया था. इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2020 के विधानसभा हाउस सत्र के दौरान सरकार से पूछे गए एक सवाल के जवाब में राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर पोस्ट में इस बात की पुष्टि की गई है.

राजस्थान में एक केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेताओं के बीच "फोन पर हुई बातचीत के लीक होने के आठ महीने बाद एक बार फिर राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है और अवैध तरीके से फोन टैप किए जाने का मामला जोर पकड़ रहा है. दरअसल राज्य सरकार ने आखिरकार आठ महीनों बाद इस बात की पुष्टि कर दी है कि उनकी सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता का फोन टैप किया था.

पिछले साल का है फोन टैपिंग मामला

गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में राजस्थान में एक केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता के बीच फोन पर हुई बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ था. जिसके बाद काफी विवाद हुआ था. बीजेपी और बसपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर अवैध तरीके से फोन टैप करने के आरोप लगाये थे. जिसके बाद अब जाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने इस बात की पुष्टि कीहै कि फोन वास्तव में इंटरसेप्टेड था. बता दें कि फोन इंटरसेप्टेड का मतलब होता है दो लोगों की बातचीत को कोई तीसरा भी सुन सकता है.

पिछले साल फोन टैपिंग का मुद्दा सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच गरमाया था. इस दौरान अशोक गहलोत द्वारा आरोप लगाया गया था कि बीजेपी विधायकों को खरीदने की कोशिश में है.

 राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर पोस्ट में की गई पुष्टि

वहीं इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त 2020 के विधानसभा हाउस सत्र के दौरान सरकार से पूछे गए एक सवाल के जवाब में राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर पोस्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि सुरक्षा के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री का फोन इंटरसेप्टेड किया गया था.  बता दें कि अगस्त 2020 में बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ द्वारा पूछा गया था कि, ‘ क्या ये सच है कि पिछले दिनों फोन टैपिंग के मामले सामने आए हैं, असर ऐसा सच में है तो किस कानून के तहत और किसके ऑर्डर पर ये कार्रवाई की गई थी? पूरी जानकारी सदन के पटल पर रखी जाए.

सरकार ने इंटरसेप्ट किए गए टेलीफ़ोन नंबरों को लेकर कोई जानकारी नहीं दी

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कई महीनों की देरी के बाद दिए गए अपने जवाब में, सरकार ने कहा है, “सार्वजनिक सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के हित में, और एक अपराध की घटना को रोकने के लिए जो सार्वजनिक सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था को जोखिम में डाल सकता है, टेलीफोन इंटरसेप्टेड किए गए थे. भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5 (2) और भारतीय टेलीग्राफ (संशोधन) नियम, 2007 की धारा 419 (ए) के प्रावधानों के तहत साथ ही सूचना अधिनियम अधिनियम की धारा 2000 की धारा 69 के प्रावधानो के तहत ये कदम उठाया गया था. उपरोक्त प्रावधान के तहत और सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के बाद ही राजस्थान पुलिस द्वारा टेलीफोन इंटरसेप्ट किया गया था. ” सरकार ने इंटरसेप्ट किए गए टेलीफ़ोन नंबरों को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है, और इसमें केवल यह कहा गया है कि “मुख्य सचिव, राजस्थान द्वारा टेलिफोन इंटरसेप्ट मामलों की समीक्षा की जाती है, जो नियमानुसार अध्यक्षता करते हैं. नवंबर 2020 तक सभी मामलों की समीक्षा की गई है. सराफ ने कहा कि उन्हें सरकार से लिखित जवाब मिलना बाकी है।

ये है पूरा मामला

राजस्थान कांग्रेस और उसकी सरकार में संकट जुलाई 2020 में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, तत्कालीन राजस्थान पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा के बीच फोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग के बाद शुरू हुआ था. ऑडियो क्लिप प्रसारित होने के एक दिन बाद, राजस्थान पुलिस के विशेष अभियान समूह ने राज्य सरकार को कथित रूप से गिराने की कोशिश करने के लिए शेखावत और शर्मा के खिलाफ एक प्राथमिकी के लिए आधार के रूप में ऑडियो का इस्तेमाल किया था.मुख्यमंत्री गहलोत ने उस समय दावा किया था कि मंत्रियों और विधायकों के फोन टैप उनकी सरकार द्वारा नहीं किए गए हैं.

एबीपी न्यूज को जुलाई में दिए गए इंटरव्यू में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि, “ देखिए हमारे यहां कायदा नहीं होता है कि किसी एमएलए या मंत्री का फोन टैप करें.” उन्होंने ये भी कहा था कि यदि ऑडियो क्लिप फेक होने के आरोप सही साबित गए तो वह रिजाइन कर देंगे और राजनीति ही छोड़ देंगे. उन्होंने कहा था कि, “अगर मैं झूठी टैप बनवाउं लोगों की, अपने हित के अंदर, सरकार बचाने के लिए, तो मेरा मोरल अधिकार है क्या कि मैं सरकार में बना रहूं.”

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