Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी पुल हादसे के मामले में पुलिस ने चार्जशीट फाइल की है. ये आरोपपत्र 1252 पन्नों का है, जिसमें ओरेवा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर जयसुख पटेल को भगोड़ा बताया जा रहा है. ऐसे में एमडी पटेल की गिरफ्तारी भी हो सकती है. जांच के दौरान जयसुख पटेल नहीं मिले थे और आने वाले भविष्य में भी उनके आने की संभावना न के बराबर है.
ओरेवा कंपनी से अगले 15 साल यानी 2037 तक के लिए पुल की मरम्मत, रखरखाव और ऑपरेशन का समझौता किया गया था. करार की शर्तों के अनुसार 8 से 12 महीने में पुल की मजबूती के अनुसार रिनोवेट करके जनता के लिए खोला जाना था, लेकिन 6 महीने के अंदर बिना किसी तकनीकी मदद के पुल के रिनोवेशन का ठेका दे दिया गया. हादसे के दौरान 400 से ज्यादा लोगों को पुल पर जाने दिया गया था.
ओरेवा ग्रुप कर रहा था रखरखाव
चार्जशीट के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जाने से पहले पुल की स्ट्रेन्थ स्टेबिलिटी का जायजा भी नहीं लिया गया था. जानकारी के मुताबिक टेक्निकल लोगो की जगह फेब्रिकेशन वाले लोगों को काम दिया गया था. इसके साथ ही एफएसएल की रिपोर्ट के अनुसार 49 में से 22 तारों में जंग लग गई थी.
चार्जशीट में कहा गया है, ओरेवा कंपनी ने अपने निजी लाभ के लिए पुल को पहले खोल दिया था, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ. साथ ही हादसे के बाद यह भी सामने आया कि उन्होंने बचाव कार्यों में भी सहयोग नहीं किया. 2022 में 30 अक्टूबर को मोरबी जिले में मच्छू नदी पर बना सस्पेंशन पुल टूट गया था. जिसकी वजह से कई लोगों की मौत हो गई थी. यह पुल ब्रिटिश काल में बना था और नगर पालिका के समझौते के तहत ओरेवा ग्रुप इस पुल का संचालन और रखरखाव कर रहा था.
ये भी पढ़ें: