Morbi Bridge Case: मोरबी पुल त्रासदी के मुख्य आरोपी जयसुख पटेल ने घटना के पीड़ितों को मुआवजा देने के आधार पर जमानत के लिए आवेदन किया है. जयसुख पटेल अजंता ओरेवा ग्रुप का प्रमोटर है, जो लगभग एक सदी पुराने सस्पेंशन ब्रिज के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार कंपनी है. ये ब्रिज पिछले साल 30 अक्टूबर को गुजरात की मच्छु नदी में गिर गया था. इस घटना में 135 लोगों की जान गई थी.


अब, जयसुख पटेल ने अपनी जमानत के लिए मोरबी अदालत का रुख किया है और मामले को 4 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. जयसुख पटेल ने इस आधार पर जमानत के लिए आवेदन किया है कि गुजरात हाई कोर्ट ने घटना के पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दिया है, लेकिन बैंक ने अभी तक राशि जारी नहीं की है. वकीलों के अनुसार, जयसुख पटेल बैंक औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए जमानत मांग रहा है.


जयसुख पटेल मुख्य आरोपी क्यों हैं?


पुल के रखरखाव और मरम्मत कार्य का कॉन्ट्रैक्ट मोरबी नागरिक निकाय और जयसुख पटेल की कंपनी के बीच हुआ था. समूह ने पुल के संचालन और रखरखाव के लिए 15 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं. मार्च 2022 में मोरबी नगर निगम और अजंता ओरेवा कंपनी के बीच कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए थे और ये 2037 तक वैध था.


SIT को जांच में क्या मिला?


मोरबी त्रासदी की जांच के लिए सरकार ने विशेष जांच दल का गठन किया था. एसआईटी ने जांच में पाया कि ब्रिटिश युग के पुल की मरम्मत, रखरखाव और संचालन में ओरेवा समूह की ओर से लापरवाही बरती गई थी. इसमें कई खामियां मिली थी. बता दें कि जयसुख पटेल को एक महीने पहले मोरबी सत्र अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद गिरफ्तार किया गया था.


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