Morbi Bridge Collapse: गुजरात (Gujarat) में मोरबी ब्रिज हादसे (Bridge Collapse) में मोरबी कोर्ट (Morbi Court) ने आरोपी (Application) की रिमांड अर्जी खारिज कर दी है. लोक अभियोजक ने मीडिया को बताया कि हमने दस्तावेजों के क्रॉस-वेरिफिकेशन के लिए रिमांड की मांग की है. दरअसल, पुलिस ने अपने रिमांड आवेदन में ठेकेदार की तरफ से की गई गलतियों को पेश किया. जिसमें जंग लगे केबल नहीं बदले गए, धातु पुल का कोई सुरक्षा ऑडिट नहीं और कंपनी 140 साल पुराने ब्रिटिश काल के ब्रिज के नवीनीकरण के लिए योग्य नहीं है. जैसी कई खामियां थी.


नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला निलंबित


इससे पहले गुजरात के मोरबी पुल हादसे मामले में सरकार ने बड़ा फैसला लिया था. मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला को निलंबित कर दिया है. मोरबी के जिला अधिकारी जीटी पंड्या ने कहा, ''राज्य शहरी विकास विभाग ने मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला को निलंबित कर दिया है.'' अधिकारियों ने बताया कि मोरबी नगर पालिका ने 15 साल के लिए ओरेवा समूह को पुल की मरम्मत और रखरखाव का ठेका दिया था. पुल गिरने की घटना के सिलसिले में पुलिस अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.


कब हुआ था मोरबी ब्रिज हादसा?


बता दें, गुजरात (Gujarat) के मोरबी (Morbi) में रविवार (30 अक्टूबर) को झूलता पुल टूटने से बड़ा हादसा हो गया था. इस हादसे में मरने वालों की संख्या 135 है. मृतकों में ज्यादातर बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग थे. माच्छू नदी पर नवनिर्मित ये केबल पुल 5 दिन पहले खोला गया था. ये हादसा शाम 7 बजे हुआ है, उस वक्त पुल पर 500 लोग मौजूद थे. रेस्क्यू के लिए भारतीय नौसेना के 50 कर्मियों के साथ एनडीआरएफ (NDRF) के 3 दस्तें, भारतीय वायुसेना के 30 जवानों के साथ बचाव और राहत अभियान के लिए सेना के 2 कॉलम और फायर ब्रिगेड की 7 टीमें राजकोट और एसडीआरएफ (SDRF) की 3 और राज्य रिजर्व पुलिस के 2 दस्तें भी बचाव और राहत कार्यों में जुटी थी. 


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