नहीं बचेंगे बैंक डिफॉल्टर, NPA से निपटने के लिए बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट में बदलाव का अध्यादेश लागू
नई दिल्ली: बैंकों से उधार लेकर न चुकाने वालों के खिलाफ सरकार अब दोहरा वार कर रही है. एक तरफ नए एनपीए आध्यादेश के जरिए आरबीआई को पहले से ज्यादा ताकत मिल गई है, तो दूसरी तरफ एक के बाद एक बैंक का उधार ना लौटानवालों की गिरफ्तारी हो रही है.
सरकार ने बैंकों के फंसे कर्ज को लेकर अब आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है. सरकार इसे दो तरह से अंजाम दे रही है. सरकार ने पहला काम किया है आरबीआई को पहले से ज्यादा शक्तियां देकर. इसके लिए सरकार ने फंसे कर्ज यानी एनपीए से निपटने के लिए बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट में बदलाव करने वाले अध्यादेश को लागू किया है.
नए अध्यादेश के तहत रिजर्व बैंक कर्ज नहीं चुकाने वाले पर दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई करने का निर्देश बैंकों को दे सकेगा. इसका मतलब ये हुआ है कि कर्ज नहीं चुकाने वालों की संपत्ति आसानी से बेची जा सकेगी और बैंक अपने फंसे कर्ज की भरपाई कर लेंगे. इस प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए आरबीआई एक कमेटी का भी गठन करेगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘’कई बार पूर्ण सहमति बैंकों की न होने की वजह से प्रक्रिया में देरी होती थी, उसके संबंध में भी आदेश जारी हो सकते हैं. ये सारा एम्पावरमेंट आरबीआई को इस अध्यादेश के माध्यम से किया गया है.’’
नए आध्यादेश में यदि बकायेदार की संपत्ति का निपटारा करने में बैंकों को किसी तरह का नुकसान होता है, तो इस मामले में बैंक अधिकारियों को सरंक्षण देने का भी इंतजाम किया गया है.
अभी होता ये है कि अगर किसी बैंक चेयरमैन ने कम दाम पर संपत्ति का निपटारा किया तो उसके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप भी लग सकता है और मामला सीबीआई तक पहुंच जाता है.
फंसा कर्ज या एनपीए वैसे कर्ज को कहा जाता है जिसमें तीन महीने तक एक भी पैसा नहीं चुकाया गया हो. आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसम्बर 2016 तक सरकारी बैंकों का एनपीए 6 लाख 87 हजार करोड़ रुपये से पहुंच गया है.
एक ओर सरकार ने आरबीआई को ताकतवार बनाया है तो दूसरी ओर बड़े बैंक डिफॉल्टरों पर कानूनी शिकंजा कसा जा रहा है. परसों 2600 करोड़ रुपये के बैंक डिफॉल्टर विजय चौधरी की गिरफ्तारी और कल 3 हजार 872 करोड़ के बैंक फ्रॉड के आरोपी आरईआई एग्रो के डायरेक्टर संजय झुनझुनवाला की गिरफ्तारी इसी ओर इशारा कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक ये तो एक शुरूआत है जल्दी ही कुछ और बडे बैंक डिफाल्टर्स की गिरफ्तारियों के साथ उनकी प्रापर्टी जब्त करने की कार्रवाई भी शुरू होने जा रही है, इसके लिए बैंको से बाकायदा एफआईआर कराने को कहा गया है. इसके अलावा अब तक कई बैंक डिफॉल्टरों की संपत्ति जब्त की जा चुकी है इनमें-
- विजय माल्या की 900 करोड की संपत्ति
- जूम डवलपर्स की 103 करोड की संपत्ति
- सेंचुरी ग्रुप की 110 करोड की संपत्ति
- सूर्या विनायक ग्रुप की 88 करोड की संपत्ति
- विनसम डायमंड ग्रुप की 172 करोड की संपत्ति
- डेक्कन क्रानिकल की 263 करोड की संपत्ति अटैच की जा चुकी है.
सूत्रों के मुताबिक सरकार की कोशिश है कि बड़े बैंक डिफॉल्टर या तो बैंकों का बकाया चुका दें या फिर कड़ी कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें.