नई दिल्ली: देशभर में कोरोना वायरस के कारण संक्रमित लोगों की तादाद में तेजी से इजाफा हो रहा है. ऐसे में सरकार एक तरफ तो इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन का सख्ती से पालन करा रही है. वहीं दूसरी ओर संदिग्ध लोगों के कोरोना टेस्टिंग में भी तेजी लाने का काम जारी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने शुक्रवार को कहा कि उसने 10 अप्रैल तक कोरोनोवायरस के लिए कुल 1,61,330 परीक्षण कर लिए हैं.


ICMR ने एक बयान में कहा कि 1,47,034 व्यक्तियों के कुल 1,61,330 नमूनों का परीक्षण 10 अप्रैल शुक्रवार की रात नौ बजे तक कर लिया गया था. ICMR अधिकारी ने यह भी कहा कि संक्रमण की टेस्टिंग के लिए कुल 213 परीक्षण प्रयोगशालाएं देश में मौजूद हैं. इनमें 146 सरकारी और 67 निजी प्रयोगशालाएं शामिल हैं।


केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार बीते 24 घंटों में देश में 896 नए मामले मिलने के बाद अब कुल संक्रमितों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 6,761 हो गई। अब तक देश में इस जानलेवा वायरस से कारण 206 लोगों की मौत हो गई है. वहीं देश में 516 लोगों को कोरोना वायरस से रिकवर भी किया जा चुका है.


ICMR ने ही बताया था लॉकडाउन न होने पर बुरे होते हालात


आपको बता दें कि मेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था आईसीएमआर की ओर से किए गए एक अध्ययन के मुताबिक अगर देश में लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गई होती तो 15 अप्रैल तक देश में कुल मामलों की संख्या 8 लाख 20 हजार हो गई होती. आईसीएमआर का अनुमान R0-2.5 के सिद्धांत पर आधारित है. इस सिद्धांत के मुताबिक अगर लॉकडाउन नहीं किया जाता है तो कोरोना से प्रभावित एक व्यक्ति 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है. जबकि लॉकडाउन के चलते उसकी क्षमता महज 2.5 लोगों को संक्रमित करने तक रह जाती है.