नई दिल्ली: विभिन्न मामलों की जांच मे फंसे पश्चिम बंगाल के डेढ़ सौ से ज्यादा पुलिस अधिकारी सीबीआई के निशाने पर हैं. सीबीआई जल्द ही इन अधिकारियों की लिस्ट चुनाव आयोग को भी भेजेगी और इसके बाद चुनाव पूर्व पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है. सीबीआई का मानना है कि ये घोटाले प्रतिवर्ष 1500 करोड़ से ज्यादा के हो सकते हैं, लिहाजा इसमें हर स्तर के लोग शामिल हो जाते हैं.
पश्चिम बंगाल में सीबीआई हजारों करोड़ रुपये के शारदा स्कैम, कोल स्कैम और कैटल स्मगलिंग जैसे मामलो की जांच कर रही है. इस मामले में सीबीआई को 150 से ज्यादा ऐसे पुलिस अधिकारियों का पता चला है जो किसी ना किसी स्कैम में किसी तरह से शामिल रहे हैं. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक जिन घोटालों की जांच की जा रही है, उनमें लगभग 1500 करोड़ रुपये सालाना घोटाला होने का अनुमान है और ये धनराशि कुछ थानों और जिलों में तो अनेक स्तरों पर पहुचंती है और जिलों के अलावा इनमें बीएसएफ के भी कुछ अधिकारी शामिल होते हैं. मुद्दा यह है कि सीबीआई पुलिस के इन अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाती है, लेकिन आज तक एक दर्जन से कम अधिकारी ही सीबीआई के सामने पेश हुए हैं.
सीबीआई के मुताबिक अभी तो बार-बार बुलाए जाने के बावजूद यह पुलिस अधिकारी सीबीआई के सामने पेश नहीं हो रहे हैं, लेकिन जैसे ही पश्चिम बंगाल में चुनाव की घोषणा होगी इन लोगों के ऊपर से बड़े प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं की छत्रछाया हट जाएगी, ऐसे में जब उन्हें सीबीआई के सामने पेश होना पड़ेगा तो पश्चिम बंगाल सरकार कह सकती है कि सीबीआई पक्षपात कर रही है लेकिन सच्चाई है कि सीबीआई इन्हें पहले से ही सम्मन भेज कर पूछताछ के लिए बुला रही है.
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इनमें एडीजी से लेकर एसएचओ और सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी शामिल बताए गए हैं. सीबीआई कोयला स्कैम मामले में शामिल कुछ बड़ी मछलियों तक पहुंची, जिनमें कुख्यात स्मगलर इनामुल हक भी शामिल था, तो ऐसी लिस्ट बरामद हुई, जिनसे पता चला कि कुछ थानों में तो ऊपर से लेकर नीचे तक के ज्यादातर अधिकारी इस घोटाले में शामिल हैं. पश्चिम बंगाल में जल्द ही चुनाव की घोषणा होने वाली है और इसके साथ ही सीबीआई भी अपनी इस लिस्ट को अंतिम रूप देने में लगी है, जिससे चुनाव आयोग इस लिस्ट पर कार्रवाई कर सके. सीबीआई की इस लिस्ट के आधार पर चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले बड़ा प्रशासनिक फेरबदल कर सकता है और इसके तहत एडीजी स्तर के अधिकारी से लेकर थानाध्यक्ष स्तर के कई अधिकारियों को हटाया जा सकता है.
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