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सूरत: नोटबंदी के कारण फीकी पड़ी हीरे की चमक, 2000 से अधिक फैक्ट्रियां बंद
अहमदाबाद: सरकार के नोटबंदी के फैसले ने हीरे की चकम को फीका कर दिया है. गुजरात के सूरत में दो हजार हीरे के छोटे कारखाने बंद हो गए हैं. फैक्ट्रियों के बंद होने के बाद कई लोग बरोजगार हो गए हैं और उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कारखानों के बंद होने के कारण इनकी रोजी छिन गई है.
सूरत के वराछा इलाके के अजय भाई पेशे से रत्न कलाकार हैं, अजय पिछले 15 सालों से हीरे तराशने का काम कर रहे हैं लेकिन अब उनके पास काम नहीं है फैक्ट्री बंद है और अजय की रोजाना की 600 रुपए की कमाई ठप पड़ी है. अजय पर परिवार के 6 सदस्यों की जिम्मेदारी है. अजय ने कहा, ''15 साल से काम कर रहा हूं लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ, कभी कभी लगता है कि आत्महत्या कर लें लेकिन नहीं कर सकते.''
सूरत में हीरे तराशने वाली 2 हजार से ज्यादा छोटी फैक्ट्रियां बंद हैं. एक फैक्ट्री के मालिक बताते हैं कि फैक्ट्री सिर्फ कारीगरों का घर चलाने के लिए खोली जाती है लेकिन पहले जैसे हालात होने में अभी कुछ वक्त लगेगा. आपको बता दें कि भारत से हर साल करीब एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हीरा निर्यात होता है जिसमें 80 फीसद से ज्यादा का कारोबार सूरत से होता है. सूरत में हीरा तराशने और पॉलिश करने की करीब 4,000 फैक्ट्रियां हैं और इसमें काम करने वाले दो लाख से भी ज़्यादा कर्मचारी हैं. नोटबंदी में कैश की कमी के चलते इनमें से 2 हजार छोटे कारखाने बंद हो गए हैं जिसकी वजह से कई कारीगर बेरोजगार हो गए हैं.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion