Fake Currency: नोटबंदी के बाद 80 प्रतिशत कम जब्त हुई फेक करेंसी, संसद में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी का बयान
Demonetization: केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने ये भी बताया कि एजेंसिंयों की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जिसमें पाया गया है कि जाली नोटों की तस्करी पड़ोसी मुल्कों से हो रही है.
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Monsoon Session: वित्त राज्य मंत्री (MoS Finance) पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) ने संसद (Parliament) में सोमवार को जानकारी देते हुए कहा कि बैंकिंग सिस्टम (Banking System) में पाए गए नकली नोटों (Fake Currency) की कीमत साल 2016-17 में 43.47 करोड़ थी जो साल 2021-22 में घटकर 8.26 करोड़ रुपये रह गई. पंकज चौधरी ने ये जवाब इस सवाल पर दिया जिसमें कहा गया था कि क्या 2016 नोटबंदी (Demonetization) के बाद नकली नोटों की कीमत बढ़ी है?
इसके अलावा केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने ये भी बताया कि एजेंसिंयों की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जिसमें पाया गया है कि जाली नोटों की तस्करी पड़ोसी मुल्कों से हो रही है. उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के जब्त किए गए नोटों में वृद्धि हुई है जबकि बैंकिंग सिस्टम में पाए जाने वाले नकली नोटों की संख्या में कमी पाई गई है.
नोटबंदी के बाद जाली नोटों की संख्या में आई गिरावट
इसके अलावा, जाली नोटों की संख्या में भी कमी देखने को मिली है. साल 2016-17 में 7.62 लाख पीस जाली नोट देखने को मिले थे जो साल 2021-22 में 2.08 लाख पीस रह गए. पंकज चौधरी ने कहा कि साल 2016 में नोट बंदी के बाद से जाली नोटों की संख्या में गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला लेने के कई कारण थे जिसमें एक कारण जाली नोटों पर पाबंदी लागाना भी था.
भारत-बांग्लादेश के बीच समझौता
उन्होंने बताया कि नकली नोटों (Fake Currency) की तस्करी (Smuggling) का मुकाबला करने के लिए भारत (India) और बांग्लादेश (Bangladesh) के बीच एक ज्वाइंट टास्क फोर्स काम कर रहा है. इसमें सूचना का आदान प्रदान किया जा रहा है कि जिससे फेक करंसी का मुकाबला किया जा सके. इसके अलावा नकली नोटों की तस्करी और प्रचलन को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
इसके साथ ही मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि नेपाल (Nepal) और बांग्लादेश के पुलिस अधिकारियों को भारतीय मुद्रा की तस्करी या जालसाजी के बारे में जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Programme) भी आयोजित किए जाते हैं.
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