गृहराज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा- NPR में सूचना का खुलासा करना अनिवार्य नहीं, ये स्वैच्छिक है
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि एनपीआर में सूचना का खुलासा करना स्वैच्छिक है. ये अनिवार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि एनपीआर पहली बार यूपीए सरकार की तरफ से साल 2010 में शुरू किया गया.
नई दिल्ली: गैर बीजेपी शासित कुछ राज्यों के कड़े विरोध के बीच केन्द्र सरकार ने आज साफ किया कि कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कवायद में सूचना का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है बल्कि स्वैच्छिक है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि एनपीआर पहली बार 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की तरफ से शुरू किया गया था और यह एक संवैधानिक दायित्व है.
रेड्डी ने कहा, ‘‘एनपीआर में सूचना का खुलासा करना स्वैच्छिक है.’’ उन्होंने कहा कि एनपीआर एक संवैधानिक दायित्व है, राज्यों को इस पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए. केंद्र सरकार एनपीआर के विभिन्न पहलुओं के बारे में राज्य सरकारों को जागरूक करेगी. एनपीआर की कवायद एक अप्रैल से 30 सितंबर 2020 के बीच की जाएगी.
कुछ राज्य सरकारों ने घोषणा की है कि वे एनपीआर कवायद में शामिल नहीं होंगी. उनका कहना है कि यह देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से पहले का चरण है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूर्वोत्तर और गैर-बीजेपी शासित राज्यों में अपने समकक्षों से एनपीआर प्रपत्र का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने की अपील की है. केरल सरकार ने घोषणा की है कि वह जनगणना की कवायद को लागू करेगा लेकिन एनपीआर के साथ सहयोग नहीं करेगा.
NPR के बारे में जानिए
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर भारत के सामान्य नागरिकों का एक रजिस्टर है. इसे नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिक पंजीकरण और पहचान पत्र) नियमावली 2003 के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है. भारत के सभी नागरिकों के लिए NPR में पंजीयन अनिवार्य है. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिहाज से निवासी हर उस व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में बीते 6 महीने या उससे अधिक समय से रह रहा है अथवा 6 महीने या उससे ज्यादा वक्त तक रहना चाहता है. भारत के जनसंख्या आयुक्त कार्यालय के मुताबिक एनपीआर का उद्देश्य एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है.
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