मुंबई: देश में सबसे अधिक कोरोना के मामले महाराष्ट्र में है, लेकिन राज्य के तीन ऐसे जिले हैं जहां एक भी मामले नहीं आए हैं. महाराष्ट्र में अब तक 6430 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और इनमें से 283 लोगों की मौत हुई है. 840 मरीज ठीक हुए हैं. वहीं वर्धा, भंडारा और गढ़चिरौली जिले में कोरोना वायरस महामारी का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है.


अधिकारी इन तीनों जिलों में कोविड-19 का एक भी मामला न होने का श्रेय शुरुआत में ही एहतियाती कदम उठाने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालनऔर विदेशों-राज्य के अन्य हिस्सों से इन क्षेत्रों में प्रवेश करने वालों का पता लगाने और उन्हें क्वॉरन्टीन रखने जैसे उपायों और लोगों के सहयोग को देते हैं.




विषाणु के प्रसार को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर वर्धा के जिला कलेक्टर विवेक भिमानवार ने कहा कि अधिकारी मार्च के शुरू में ही हरकत में आ गए थे और शैक्षिक संस्थानों और क्लबों को तुरंत बंद कर दिया गया. जिले की सीमाओं को सख्ती से सील कर दिया गया.


उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखने के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के परामर्श के अनुसार भीड़भाड़ वाले इलाकों की पहचान की गई और वहां भीड़ कम करने के लिए त्वरित कदम उठाए गए.


कलेक्टर ने कहा कि इसी तरह राशन कार्ड धारकों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से अनाज लेने के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया गया. उन्होंने कहा कि जिले में सामान के आवागमन पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती, लेकिन अपने स्तर पर ‘‘हमने आसपास के जिलों से सब्जियां लाने पर रोक लगा दी.’’ अधिकारी ने कहा कि चीजों की कमी न हो, इसके लिए थोक विक्रेताओं और किसानों के बीच सीधा संपर्क करा दिया गया. इस तरह, खाद्य पदार्थों की कोई कमी नहीं है.


उन्होंने कहा, ‘‘हमने मुंबई और पुणे से अपने जिले में आए लगभग 16,500 लोगों तथा विदेश से आए 192 लोगों की पहचान की और उन्हें पृथक कर दिया.’’ भिमानवार ने बताया कि इसी तरह वर्धा में 22 ऐसे लोगों की पहचान की गई जिन्होंने दिल्ली में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. इन लोगों का केवल 7-8 घंटे में पता लगाकर इन्हें क्वारंटीन में भेज दिया गया. उन्होंने कहा कि जांच के लिए इन लोगों के नमूने लिए गए और सौभाग्य से इनमें से कोई भी संक्रमित नहीं मिला. इन लोगों पर नजर भी रखी गई जिससे कि वे अन्य स्थानीय लोगों में न मिल सकें.


वहीं, भंडारा जिले के कलेक्टर एम जे प्रदीप चंद्रन ने भी कहा कि संकट की आशंका के चलते जिले में त्वरित कदम उठाए गए. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जिले में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया और निरीक्षण का चौथा दौर अभी जारी है. अधिकारी ने कहा कि विदेश और अन्य जिलों से आने वाले लोगों तथा उन लोगों की सूची बनाई गई जिनको विषाणु संक्रमण जैसे कोई लक्षण हों. इन तीनों समूहों पर निगरानी रखी गई. अनेक लोगों को घरों में पृथक रखा गया. यहां तक कि 11 हजार लोग अब भी घरों में पृथक रखे गए हैं.


चंद्रन ने कहा, ‘‘पृथक-वास के मामले में हम बहुत सख्त हैं और यहां तक कि अति विशिष्ट लोगों को भी निगरानी में रखा जा रहा है.’’ गढ़चिरौली के जिलाधिकारी दीपक सिंगला से संपर्क करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया. महाराष्ट्र सरकार के अनुसार वाशिम जिले में 23 अप्रैल तक कोरोना वायरस संक्रमण का एक मामला सामने आया था, लेकिन रोगी की रिपोर्ट अब निगेटिव आई है और उसे अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी.


इस तरह वाशिम जिले में भी अब संक्रमण का कोई मामला नहीं है. राज्य के सिंधुदुर्ग, प्रभनी, बीड़, नांदेड़ और गोंडिया जिलों में 23 अप्रैल तक कोरोना वायरस का एक-एक मामला सामने आया.


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