नई दिल्ली: मुंबई के कमला मिल्स कंपाउंड में भीषण आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई. इस घटना के बाद से दिल्ली के हजारों रेस्तरां और ढाबों में सुरक्षा चिंता बढ़ गई है. एबीपी न्यूज़ ने दिल्ली कई रेस्तरां में पड़ताल की. हमारी पड़ताल में दिल्ली के कई पब में लापरवागी देखने को मिली.


दरअसल, महज 400 रेस्तरां के पास ही दिल्ली फायर ब्रिगेड का अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) है. इसकी गंभीरता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हौज खास जैसे भीड़-भाड़ और कई रेस्तरां वाले जगह में सिर्फ तीन रेस्तरां के पास एनओसी प्राप्त है.

दिल्ली फायर ब्रिगेड के मुताबिक कानून के अनुसार 50 से कम लोगों के बैठने की क्षमता वाले रेस्तरां को पुलिस और अग्निशमन विभाग से एनओसी की जरूरत नहीं होती है. एक अधिकारी ने कहा, ‘‘80 फीसदी से अधिक रेस्तरां दावा करते हैं कि उनके यहां 50 से कम सीटें हैं. लेकिन यह जांच करने वाले कौन हैं कि उनके अंदर सिर्फ 49 लोग ही हैं ?’’

उन्होंने बताया कि हौज खास में सिर्फ तीन रेस्तरां के पास दिल्ली फायर ब्रिगेड से एनओसी है. खान मार्केट में सिर्फ चार रेस्तरां ने एनओसी ली है जबकि कनॉट प्लेस में स्थिति थोड़ी बेहतर है जहां 110 रेस्तरां को विभाग से एनओसी प्राप्त है.

फायर ब्रिगेड के अधिकारी ने कहा, ‘‘चूंकि कई रेस्तरां का अपने- अपने यहां 50 से कम लोगों के बैठने की क्षमता का दावा है, पर हम इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि उनमें आपात निकास द्वार, उपयुक्त सीढ़ियां और आग बुझाने के अन्य उपकरण हैं या नहीं. ’’ वहीं, पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक, कश्मीरी गेट और दरियागंज में ढेर सारे छोटे - छोटे ढाबे और रेस्तरां हैं और ज्यादातर के पास एनओसी नही है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ढाबों और छोटे रेस्तरां के लिए एनओसी और लाइसेंस संबंधित नगर निकाय के स्वास्थ्य विभाग से हासिल किया जाता है.


इसके अलावा, कुछ बड़े रेस्तरां हौज खास, ग्रेटर कैलाश, सफदरजंग एनक्लेव और राजौरी गार्डन जैसे दक्षिण दिल्ली नगर निगम के दायरे में आते हैं. हालांकि, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने दावा किया कि यह अपने दायरे में आने वाले रेस्तराओं में नियमित रूप से जांच करती है. परिषद के दायरे में खान मार्केट और कनॉट प्लेस आता है.


बता दें कि मुंबई के कमला मिल्स कंपाउंड के रेस्तरां में भी आग बुझाने के यंत्र नहीं थे, फायर एग्जिट पर सामान रखा था, लोगों को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला था.