नई दिल्लीः  भारत सहित दुनिया के कई देशों में दीन-दुखियों की सेवा में अपना जीवन लगा करने वालीं मदर टेरेसा की आज पुण्यतिथि है. 5 सितंबर 1997 को दिल का दौरा पड़ने से मदर टेरेसा निधन हो गया था. उन्होंने अपना पूरा जीवन बीमार, अनाथ, गरीब, असहाय लोगों की सेवा में लगा दिया. उनका जन्म यूगोस्लाविया में 26 अगस्त 1910 को हुआ था. उनका असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था. 18 वर्ष की आयु में दीक्षा लेकर वे सिस्टर टेरेसा बनीं थीं.


मदर टेरेसा 1929 में भारत आईं और अध्यापन से जुड़ गईं. कोलकाता में पढ़ाने के दौरान लोगों की गरीबी को देखकर वे कच्ची बस्तियों में जाकर सेवा कार्य करने में लग गईं. उनका मानना था कि दुखी मानवता की सेवा ही जीवन का व्रत होना चाहिए. सेवा कार्य के लिए उन्होंने 7 अक्तूबर,1950 को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की. इसके माध्यम से वे वर्षों तक गरीब, बीमार, अनाथ लोगों की सेवा में जुटीं रहीं. उन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारत की नागरिकता ली थी. मदर टेरेसा ने मिशनरीज के माध्यम से उस समय समाज में बहिष्कृत समझे जाने वाले कुष्ठ और तपेदिक जैसे रोगियों की सेवा की.


मदर टेरेसा के सेवा कार्यों को देखते हुए 1979 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया. हालांकि मदर टेरेसा ने प्राइज मनी लेने से इंकार करते हुए इसे भारत के गरीब लोगों में दान करने के लिए कहा था. इसके बाद 1980 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया. उन्हें रोमन कैथोलिक चर्च ने भी कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा.


टेरेसा ने गरीब लोगों के इलाज और गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ नाम से आश्रम स्थापित किये थे. एक रिपोर्ट के अनुसार उनकी स्थापित की गई मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएं 130 देशों में फैल कर 700 मिशन स्थापित कर चुकी हैं.


मदर टेरेसा के सेवा कार्यों को देखते हुए 2012 में संयुक्त राष्ट्र ने उनकी पुण्यतिथि को इंटरनेशनल चैरिटी डे के रूप मनाने का फैसला लिया. 2012 से उनकी पुण्यतिथि इंटरनेशनल चैरिटी डे के रूप में मनाई जाती है.


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