Motilal Nehru Death Anniversary: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख व्यक्तियों में एक पंडित मोतीलाल नेहरू (Motilal Nehru) का निधन 1931 में आज ही के दिन 6 फरवरी को हुआ था. मोतीलाल नेहरू को लोग देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता के रूप में ज्यादा जानते हैं. मोतीलाल नेहरू एडवोकेट, राजनीतिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने अपना जीवन भारतीय स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया था.


मोतीलाल नेहरू की आज 92वीं पुण्यतिथि है. मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को इलाहाबाद में हुआ था. नेहरू जी के पिता का नाम गंगाधर नेहरू और माता का नाम इंद्राणी था. मोतीलाल नेहरू के पिता का निधन उनके जन्म के तीन पहले ही हो गया था. मोतीलाल का पालन पोषण उनके बड़े भाई नंदलाल नेहरू ने किया था. 


पहले केस के लिए मिले थे 5 रुपये
मोतीलाल नेहरू ने अपने कानूनी करियर में बहुत उतार चढ़ाव देखे. उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिन बहुत गरीबी से गुजारे थे हालांकि बाद में वह सबसे अमीर भारतीयों में से थे. नेहरू को अंग्रेज जज ज्यादा तवज्जों नहीं देते थे, लेकिन मोतीलाल में काबिलियत और मेहनत की वजह से कई अंग्रेज जज उनसे प्रभावित थे. मोतीलाल नेहरू को हाईकोर्ट में अपने पहले केस के लिए 5 रुपये मिले थे, बाद में उन्होंने एसी तरक्की की कि उन्हें एक केस के लिए अच्छे खासे पैसे मिलने लगे. 


जानें पिता के साथ कैसे थे रिश्ते?
जवाहरलाल नेहरू और मोतीलाल नेहरू के बीच रिश्ते एक बाप बेटे जैसे ही थे. दोनों एक दूसरे के साथ मित्रता जैसा रिश्ता रखते थे. हालांकि जवाहरलाल नेहरू ने बताया था कि उनके पिता जी एक बार दो पेन लेकर आए जो उन्होंने अपने पास रख लिया था और उन्हें ऐसा लगता था कि पिता को दो ​पेन की जरूरत कभी नहीं पड़ेगी. अगली सुबह जब मोतीलाल नेहरू को एक पेन नहीं मिला तो वह उसे खोजने लगे. नेहरू का गुस्सा देखकर जवाहरलाल की हिम्मत नहीं हुई कि वह उन्हें बताकर अपनी गलती स्वीकार कर पाएं. पेन को जब बहुत तलाश की गई तब वह जवाहरलाल के पास मिला, जिसके बाद पिता मोतीलाल का गुस्सा इतना बढ़ गया कि उन्होंने बेटे की जबरदस्त पिटाई की. जिसके बाद से ही जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल से खूब डरने लगे. ​हालांकि बाद में दोनों के रिश्ते फिर से मित्र जैसे हो गए थे.


आईएनसी चुने गए थे अध्यक्ष
पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रमुख नेता थे और उन्होंने दो बार पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था. मोतीलाल नेहरू 1919 में पहली बार अमृतसर से और फिर 1928 में कलकत्ता से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के अध्यक्ष चुने गए थे. स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था. राजनीतिक सक्रियता के अलावा पंडित नेहरू एक सम्मानित वकील भी थे. इसके अलावा उन्होंने भारत की कानूनी व्यवस्था को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई थी. 


मोतीलाल नेहरू ने 1 जनवरी 1923 को  चितरंजन दास के साथ स्वराज पार्टी की सह-स्थापना की, जिसके बाद वह नई दिल्ली में दिल्ली में ब्रिटिश भारत की संयुक्त प्रांत विधान परिषद के लिए चुने गए, जहां उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में काम किया था. मोतीलाल ने प्रसिद्ध 'नेहरू रिपोर्ट' लिखी थी, जिसमें उन्होंने संवैधानिक और कानूनी अधिकारों के साथ एक लोकतांत्रिक समाज के विचारों को सामने रखा.


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