जम्मू: मोटर व्हीकल एक्ट का असर अब जम्मू-कश्मीर की सड़कों पर दिखने लगा है. इस कानून के लागू होने के बाद ना सिर्फ यातायात नियम तोड़ने वाले लोगों में कमी आयी है बल्कि सड़क हादसों में भी कमी दर्ज की गयी है. आंकड़ों के मुताबिक  2014 में 5861 सड़क हादसों में 992 लोग मारे गए थे जबकि 8043 लोग घायल हुए थे.


वहीं साल 2015 में 4638 सड़क हादसों में 668 लोग मारे गए थे जबकि 6076 लोग घायल हुए थे.  2016 की बात करें तो 5501 सड़क हादसों में 958 लोग मारे गए थे जबकि 8043 लोग घायल हुए थे. साल 2017 में 5624 सड़क हादसों में 926 लोग मारे गए और 7419 लोग घायल हुए. साल 2018 में जम्मू-कश्मीर में हुए सड़क हादसों में 928 लोग मारे गए जबकि 7250 लोग घायल हुए.


अगर जम्मू ग्रामीण की बात करें तो संशोधित मोटर व्हीकल कानून 2019 लागू होने से पहले रोजाना 350 से अधिक चालान कटा जाते थे जो अब घट कर 240 हो गए हैं. जानकार मानते है कि संशोधित मोटर व्हीकल कानून 2019 में चालान की राशि को जिस तरह बढ़ाया गया है वो चालकों को सड़क कानून सख्ती से पालन करने पर मजबूर कर रहा हैं. यह कानून लागू होने के बाद जम्मू में हेलमेट की बिक्री भी बढ़ी है. वहीं सडकों पर हेलमेट पहनने का ट्रेंड चल पड़ा है.

सड़क हादसों में अधिकतर हादसे जम्मू कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में होते हैं. जिनका मुख्य कारण ओवरलोडिंग, खस्ताहाल सड़कें, तेज रफ्तार, पुराने वाहन और ट्रैफिक विभाग की सुस्ती मुख्य कारण हैं. हालांकि राज्य में इन सड़क हादसों को रोकने के लिए स्टेट ट्रांसपोर्ट सलाहकार समिति ने सिफारिशें भी दी हैं. जिनमें पहाड़ी इलाकों में बेहतर सड़क प्रबंधन के कई सुझाव दिए गए हैं लेकिन इन सुझावों में से अधिकतर लागू नहीं किये गए हैं.

इस समिति ने पहाड़ी इलाकों में कम वाहन चलाने, सख्त ट्रैफिक प्रबंधन समेत पुराने हो चुके वाहनों को सड़कों पर ना चलने के सुझाव दिए थे. वहीं सड़कों की स्थिति में सुधार ना किया जाना भी हादसों की बड़ी वजह माना जाता है. संशोधित मोटर व्हीकल कानून 2019 में चालान की राशि को बढ़ाये जाने के बाद चालक अब सड़क नियमों का पालन कर रहे हैं. जिससे हादसों में कमी आयी है.

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