नई दिल्ली: रोड रेज की घटनाओं को रोकने के लिए संसद की स्थायी समिति ने महानगरों और बड़े शहरों में प्राइवेट गाड़ियों में लाइसेंसी बंदूकों को ले जाने पर रोक लगाने की सिफ़ारिश की है. समिति ने ये भी कहा है कि अगर कोई नाबालिग गाड़ी चलाते वक्त कोई दुर्घटना करता है तो उसके लिए गाड़ी का मालिक ज़िम्मेदार होगा. इसके लिए अधिकतम 3 साल की सज़ा का प्रावधान हो समिति ने ये भी सिफारिश की है.


मोटर व्हीकल एक्ट (संशोधन) बिल की समीक्षा कर रही संसदीय समिति ने सरकार को कुछ बड़े ही अहम सुझाव दिए हैं.


संसदीय समिति के सुझाव




  • ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ ज्यादा ज़ुर्माना लगाया जाए.

  • ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ हर साल जुर्माना बढ़ाया जाए.

  • समिति ने हर साल जुर्माने में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी करने की सिफ़ारिश की है.

  • बिल में ही ये प्रावधान किए जाए कि संसद की अनुमति लिए बिना सरकार हर साल जुर्माना बढ़ा सके.

  • सुबह 3 से 5 बजे के बीच कमर्शियल वाहनों के चलने पर भी रोक लगाने की सिफ़ारिश की है ताकि ड्राइवरों को आराम मिल सके.


एक अहम सुझाव देते हुए कमिटी ने कहा है कि शराब पीकर गाड़ी चलाने पर अगर दुर्घटना में किसी की मौत होती है तो ऐसे मामलों को आईपीसी की धारा 304 का उल्लंघन माना जाए.


आपको बता दें कि देश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है और 3 लाख घायल होते हैं. हर 30 किमी पर एंबुलेंस हो और राष्ट्रीय राजमार्गों पर न्यूनतम स्पीड सीमा भी तय करने जैसे सुझाव दिए गए हैं.