अब ट्रैफिक रूल तोड़े तो खैर नहीं, मोटर व्हीकल संशोधन बिल लोकसभा में पास- जानें क्या बदलेगा
इस विधेयक में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काफी सख्त प्रावधान रखे गये हैं. बिल में किये गये प्रावधान 18 राज्यों के परिवहन मंत्रियों की सिफारिशों पर आधारित हैं. इन सिफारिशों की संसद की स्थायी समिति ने भी जांच परख की है.
नई दिल्ली: लोकसभा ने 'मोटर व्हीकल संशोधन बिल-2019' को मंजूरी दे दी जिसमें परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काफी सख्त प्रावधान रखे गये हैं. निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया कि सरकार का मोटर व्हीकल संशोधन बिल के माध्यम से राज्यों के अधिकार में दखल देने का कोई इरादा नहीं है, इसके प्रावधानों को लागू करना राज्यों की मर्जी पर निर्भर है और केंद्र की कोशिश राज्यों के साथ सहयोग करने, परिवहन व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव लाने और दुर्घटनाओं को कम करने की है.
इस विधेयक में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काफी सख्त प्रावधान रखे गये हैं. यातायात नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है. बिल में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के लिए जहां जुर्माने को बढ़ाने का प्रावधान किया गया है वहीं कुछ सजा का भी प्रावधान है.
(1) सीटबेल्ट या हेलमेट नहीं पहनने पर जुर्माना 100 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये हो जाएगा.
(2) ओवर-स्पीडिंग के लिए जुर्माना मौजूदा 500 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये किया जाएगा.
(3) शराब पीकर गाड़ी चलाने पर जुर्माना 2,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया जाएगा.
(4) आपातकालीन सेवाओं के लिए रास्ता नहीं देने पर 10,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
(5) देश में कुल ड्राइविंग लाइसेंस में से 30 फीसदी को फर्जी बताया है.
(6) संशोधन में यह भी कहा गया है कि ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण के लिए आवेदन करने के लिए आधार संख्या का उपयोग अनिवार्य होगा.
(7) वर्तमान में, ड्राइविंग लाइसेंस 20 साल के लिए वैध है और बिल का उद्देश्य वैधता को 10 साल तक कम करना है.
(8) 55 साल की उम्र के बाद अपने लाइसेंस का नवीनीकरण कराने वाले लोगों की वैधता केवल पांच साल होगी.
(9) लाइसेंस की वेलिडिटी खत्म होने के बाद एक साल तक रिन्यू किया जा सकता है.
(10) भारत की राज्य सरकारें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के आधार पर एग्रीगेटर्स को लाइसेंस प्रदान करेंगी.
(11) एग्रीगेटर्स को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का अनुपालन करना भी आवश्यक होगा.
(12) सड़क हादसे में मारे गए लोगों की मुआवजा राशि 5 लाख और गंभीर रूप से घायलों की 2.5 लाख की गई है.
(13) सड़क के गड्ढों और उनके रखरखाव की चूक से होने वाली दुर्घटना के लिए ठेकेदार पर कार्रवाई की जाएगी.
(14) अगर कोई नाबालिग गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है तो गाड़ी मालिक या उसके पेरेंट को दोषी माना जाएगा. इसके लिए 25,000 का जुर्माना या 3 साल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही गाड़ी का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता है.
इस विधेयक में केंद्र सरकार के लिये मोटर वाहन दुर्घटना कोष के गठन की बात कही गई है जो भारत में सड़क का उपयोग करने वालों को अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगा. इस विधेयक में यातायात नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है.
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