MP BJP Candidate List: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भोपाल में रैली के बाद तंबू पूरी तरह से उखड़ भी नहीं पाया था. जंबूरी मैदान की सफाई हो भी नहीं पाई थी. हम पत्रकारों की नरेंद्र मोदी की सभा की कॉपी अच्छे से लिख भी नहीं पाई थी कि बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने फिर से 39 प्रत्याशियों की सूची जारी कर चौंका दिया.
ये तो मालूम था कि सूची जारी करने से पहले इस कार्यकर्ता महाकुंभ का इंतजार किया जा रहा था, जिससे इस आयोजन पर विवाद और खींचतान की छाया ना पड़े, मगर सूची धमाके से आई और अनेक छिपे हुए झटके इस लिस्ट में हैं.
नरेंद्र तोमर के बेटे की कटी टिकट?
सबसे पहले तो चौंकाया दिमनी से नरेंद्र सिंह तोमर के नाम ने. केंद्रीय मंत्री तोमर चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हैं. उनके जिम्मे चुनाव लड़ाने और प्रचार अभियान चलाने का जिम्मा था, मगर उनको पार्टी ने मैदान में उतार कर कहा कि चुनाव हम लड़ाएंगे, आप तो चुनाव लड़ो. हालांकि इस सीट से उनके बेटे को टिकट मिलने की अटकलें लगाई जा रही थीं, मगर इस सूची में उनके साथ छह और सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाकर पार्टी ने बता दिया है कि वो चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है और एक-एक सीट के लिए कितनी तैयारी से उतरी है.
कैलाश विजयवर्गीय चुनाव लड़े तो बेटे का क्या होगा?
तीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को अब विधानसभा का चुनाव लड़ना पड़ेगा. कैलाश विजयवर्गीय की चुनाव से दूरी भी इस लिस्ट ने पूरी कर दी. कैलाश को इंदौर से टिकट दे दी है. अब उनके बेटे का टिकट कटना तय है तो प्रह्लाद सिंह को उनके भाई का टिकट काट कर ही नरसिंहपुर से उतार दिया है.
सिंधिया से लेकर मामा शिवराज तक की उड़ेगी नींद!
मध्यप्रदेश से पांच मंत्री मोदी कैबिनेट में थे, अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीरेंद्र कुमार की नींद भी इस लिस्ट ने उड़ा दी है. उनके चुनाव लड़ने का आदेश कभी भी आ सकता है. इस दूसरी लिस्ट ने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की नींद भी उड़ा दी होगी. इस लिस्ट में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों के ढेरों नाम हैं और उनका नाम अब तक पार्टी ने जारी नहीं किया है.
जो बना रहे थे लिस्ट, सूची में आए उनके ही नाम
अब तक बीजेपी 230 में से 78 सीटों के नाम घोषित कर चुकी है. बची 152 सीटों पर भी चोंकाने वाले नाम आएंगे, ये साफ हो गया है. मगर बीजेपी की जमीन पर हालत कितनी खराब है, ये पार्टी आलाकमान अच्छी तरह से समझ गई है. इसलिए जीतने के लिए पूरी फौज मैदान में उतार दी है. इस सूची को देखकर भोपाल में एक जुमला चल पड़ा है, कल तक जो लोग दूसरों की सूची बना रहे थे, उनके नाम ही सूची में आ गए.
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