भोपाल: मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार पर सियासी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. उन्होंने सूबे की राजनीतिक हालात से पार्टी प्रमुख को अवगत कराया. बैठक के बाद उन्होंने कहा कि मैंने ताजा सियासी हालात पर चर्चा की. मैं उनकी सलाह को मानूंगा.


सूत्रों का कहना है कि करीब 20 मिनट तक चली सोनिया और कमलनाथ की मुलाकात के दौरान राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के संदर्भ में मुख्य रूप से चर्चा हुई.


दरअसल, मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि वह विधायकों को प्रलोभन देकर अपने पाले में करना चाहती है. वहीं बीजेपी का कहना है कि यह सिर्फ राज्यसभा जाने के लिए कांग्रेस नेताओं के बीच रस्साकशी का नतीजा है.


क्यों बनी ऐसी स्थिति?
बीते एक सप्ताह से चल रहे सियासी घमासान ने सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस को विधानसभा में पूर्ण बहुमत नहीं है और कमलनाथ सरकार बाहरी समर्थन से चल रही है.


सरकार को समाजवादी पार्टी, बीएसपी और निर्दलीय विधायकों का समर्थन है. उन्हीं में से कई और कांग्रेस के विधायकों को मिलाकर कुल जमा 10 विधायक लापता हो गए थे. उसके बाद से सरकार के अल्पमत में आने के सवाल उठे. मगर कमलनाथ ने स्थिति संभाल ली.


राज्य से लापता विधायकों में से आठ भोपाल लौट आए हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात कर उनके प्रति अपना समर्थन जताया है. कांग्रेस विधायक बिसाहू लाल सिंह ने तो मंत्री न बनाए जाने को लेकर अपनी नाराजगी भी जता दी है. वहीं निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भी मंत्री बनना चाहते हैं.


अब मध्य प्रदेश के सियासी संकट को खत्म करने की मुहिम को कमलनाथ ने तेज कर दिया है. इसके लिए पार्टी ने असंतुष्ट विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देने का मन बनाया है. इसके साथ ही कई मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर करने की तैयारी है.


राज्य मंत्रिमंडल में छह और विधायकों को स्थान दिया जा सकता है. मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कुल 29 मंत्री हैं. विधायकों की संख्या के आधार पर कुल 35 मंत्री हो सकते हैं. इस तरह छह विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.


राज्यसभा चुनाव
कांग्रेस राज्यसभा की तीन में से दो सीटें भी जीतना चाहती है और इसके लिए उसे सरकार को समर्थक विधायकों को अपने पाले में बनाए रखना जरूरी होगा. विधायकों की संख्या के आधार पर कांग्रेस को दो अतिरिक्त विधायकों का समर्थन चाहिए, तभी वह दो सीटें जीत सकती है.


दो सीटों पर दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम आगे हैं. ताजा सियासी घटनाक्रम के बाद यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या राज्यसभा की एक सेफ सीट को लेकर अंदरखाने की लड़ाई तो नहीं है?


राज्य विधानसभा की 230 सीटों में से दो सीटें रिक्त हैं. मौजूदा समय में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं. कांग्रेस को दो सीटें जीतने के लिए 116 विधायकों का समर्थन चाहिए. यह तभी संभव है जब निर्दलीय विधायक, सपा और बसपा के विधायक उसके साथ रहें.


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