(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
MP Election: कमलनाथ बचा पाएंगे अपना गढ़ छिंदवाड़ा या खिलेगा 'कमल'? जानें सियासी समीकरण
MP Election: कांग्रेस इस बार एमपी चुनाव में सत्ता परिवर्तन करने को लेकर पूरी ताकत झोंके हुए है. अध्यक्ष कमलनाथ के सामने छिंदवाड़ा को एक बार फिर से बचाने और प्रदेश को जीताने की बड़ी चुनौती है.
Chhindwara Seat: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Election) की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सभी बडे़ क्षत्रप नेताओं के सामने अपने गढ़ को बचाने की चुनौती भी बढ़ गई है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) भी अपने गढ़ छिंदवाड़ा को बचाने को जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. पिछली बार 2018 में छिंदवाड़ा की सभी 7 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था. इस बार चुनावी परिणाम क्या होंगे, यह तो आने वाली 3 दिसंबर की तारीख ही तय करेगी. इससे पहले चुनावी ग्राउंड रिपोर्ट देखकर भी कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव किस करवट बैठ रहा है.
छिंदवाड़ा के नरसिंहपुर नाका पर बीती रात 8 बजे कांग्रेस नेता कमलनाथ की सभा को सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे, जहां लोग उनका इंतजार कर रहे थे. कमलनाथ पर पूरे प्रदेश के चुनाव प्रचार की कमान भी है जिसके चलते वो लगातार दौरे भी कर रहे हैं. अहम बात यह है कि कमलनाथ एक बार फिर छिंदवाड़ा सीट से चुनावी दंगल में उतरे हुए हैं. वह अपनी सीट पर भी पूरा फोकस कर रहे हैं. शाम को प्रदेश से वापस आने के बाद शहर में सभाएं करते हैं. यहां आकर वो 40 साल पुराने रिश्ते और विकास का हवाला देकर लोगों को खुश करते हैं. इस पर जनता खूब तालियां भी पीटती है.
इस बीच देखा जाए तो कमलनाथ का छिंदवाड़ा से बड़ा पुराना रिश्ता है वो इस जगह पर 1980 से राजनीति करते आ रहे हैं. इस जगह से वो 9 बार सांसद का चुनाव लड़े हैं और एक बार विधायक भी रह चुके हैं. कई बार केंद्रीय मंत्री रहे और एक बार मुख्यमंत्री रह चुके कमलनाथ के छिंदवाड़ा विकास को जनता भी मानती है. कई बार चुनावी सभाओं में भावुक भी हो जा रहे हैं.
एमपी में डेढ़ साल में गिर गई थी कमलनाथ सरकार
कमलनाथ के पिछली बार मुख्यमंत्री बनने पर पूरे प्रदेश में छिंदवाड़ा मॉडल की चर्चा थी. कमलनाथ का दावा था कि प्रदेश को छिंदवाड़ा के तर्ज पर विकसित किया जायेगा मगर उनकी सरकार डेढ़ साल में ही गिर गयी थी. मगर उनके प्रभाव का असर पूरे जिले और महाकौशल इलाके में है. साल 2018 के चुनाव में महाकौशल क्षेत्र की कुल 38 सीटों में से 24 कांग्रेस और 13 बीजेपी ने जीती थी. मध्यप्रदेश के एकमात्र कांग्रेस के सांसद नकुलनाथ भी यहीं से हैं. कांग्रेस और कमलनाथ वही पुराना मैजिक दोहराना चाहते हैं. मगर बीजेपी का दावा है कि कमलनाथ क्लीन बोल्ड होंगे.
कमलनाथ के खिलाफ बीजेपी ने बंटी साहू को उतारा
उधर, बीजेपी ने कमलनाथ को घेरने के लिये कांग्रेस से जुडे़ रहे युवा नेता बंटी साहू को खड़ा किया है. बंटी पिछला उपचुनाव कमलनाथ से 24 हजार वोटों के अंतर से हारे थे मगर इस बार उनका प्रचार करने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल आये हैं और दावा कर रहे हैं कि इस बार छिंदवाड़ा की जनता बदलाव चाहती है. छिंदवाड़ा के गली चौराहों पर बदलाव की बात तो जनता भी करती है मगर वो ये भी मान रही है कि प्रदेश में कमलनाथ की सरकार बन रही है मगर यहां पर युवा नेता जीते तो अच्छा होगा.
छिंदवाड़ा जिले की 7 में से 6 सीटों पर कांग्रेस की पकड़ मजबूत
छिंदवाड़ा जिले की 7 सीटों की बात करें तो इनमें छिंदवाड़ा, सौंसर, जुन्नारदेव, पाढुंर्ना, परासिया, अमरवाडा और चौरई प्रमुख रूप से शामिल हैं. पिछली बार सभी सीटों पर कांग्रेस ने अच्छे अंतर से जीत हासिल की थी. इस बार सिर्फ चौरई सीट को छोड़ दें तो ओवरऑल कांग्रेस यहां मजबूत स्थिति में नजर आ रही है. कांग्रेस के बागी नेता बंटी पटेल ने चौरई में पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है.
कमलनाथ ने 1980 में शुरू की थी छिंदवाड़ा की राजनीति
हालांकि आदिवासी बहुल यह जिला हमेशा से पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और कांग्रेस की गहरी पकड़ और असर वाला रहा है. संजय गांधी और कमल नाथ की दोस्ती अच्छी रही. दिल्ली से छिंदवाड़ा गए कमलनाथ ने 1980 से इसको अपना बनाया. इसके बाद से वो इसकी पहचान बने हुए हैं लेकिन इस बार चुनावी समीकरण किस तरफ फिट बैठेंगे, आने वाले परिणाम ही तय करेंगे.
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