मध्य प्रदेश: 1984 बैच के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वीवेक कुमार जौहरी पर 'सिर मुंडाते ही ओले पड़े' वाली कहावत पूरी तरह से चरितार्थ होती नजर आ रही है. होली के दिन केंद्र सरकार ने जौहरी को बीएसएफ डी जी के पद से हटाकर मध्य प्रदेश में पुलिस का महानिदेशक का पद संभालने का आदेश जारी कर दिया. इसके फौरन बाद ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार का संकट पैदा हो गया. ऐसे में कहा जा रहा है कि संभवत: नई सरकार में विवेक जौहरी इस पद पर नहीं रह पाएंगे. साथ ही यह संकट मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव के ओएसडी का पद संभालने वाले एम गोपाल रेड्डी के सामने भी खड़ी हो सकती है.


विवेक कुमार जौहरी केन्द्र मे बीएसएफ महानिदेशक के पद पर तैनात थे. अचानक एक पखवाड़े पूर्व मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें वापस मध्य प्रदेश डीजी पद पर आने के लिए कहा. बताया जा रहा है कि इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद दिल्ली भी आए और जौहरी के साथ साथ गृह मंत्रालय के अधिकारियो से भी मिले.


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यही नही गृहमंत्रालय ने अभी आदेश भी जारी नही किए थे कि मध्य प्रदेश प्रशासन ने जौहरी के डीजी पद के लिए आदेश भी जारी कर दिए. इसके चलते केंद्र में भी यह बात उठी कि बिना केंद्र के आदेश के जौहरी को लेकर राज्य सरकार ने आदेश कैसे जारी कर दिए. इन तमाम विवादों के मद्देनजर जौहरी मध्य प्रदेश जाने पर अडिग रहे और केन्द्र ने भी उनकी इच्छा को पूरी करते हुए होली वाले दिन उनकी केन्द्र से वापस कैडर जाने के आदेश जारी कर दिए.


दिलचस्प यह है कि जौहरी अभी भोपाल पहुंचे भी नही थे कि वहां की सरकार पर संकट आ गया और सरकार का ही भविष्य खतरे मे आ गया. ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि अगर नई सरकार आई तो संभवत: जौहरी को मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक पद पर नहीं रखा जाएगा और उन्हें कोई और पद दिया जा सकता है. ध्यान रहे कि बीएसएफ डी जी का पद आईपीएस लॉबी में सर्वोत्तम पदों में से एक माना जाता है. ऐसे में यदि उन्हें किसी दूसरे पद पर भेज दिया गया तो दुविधा में दोनों गए माया मिली ना राम वाली कहावत उन पर लागू हो जाएगी.


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यही हालत मध्य प्रदेश मे मुख्य सचिव पद पर भी बताई जा रही है. वर्तमान मुख्य सचिव सुधी रंजन मोहंती जो कि 1982 बैच के आईएएस हैं, वो 31 मार्च को रिटायर हो रहे हैं. कमलनाथ सरकार ने उनके स्थान पर 1985 बैच के आईएएस एम गोपाल रेड्डी को उनका ओएसडी लगाया था.


उनकी पोस्टिंग 5 मार्च को की गई थी और यह माना जा रहा था कि 31 मार्च के बाद वो नए मुख्य सचिव का चार्ज लेंगे. ध्यान रहे कि गोपाल रेड्डी केन्द्रीय गृह मंत्रालय मे अतिरिक्त सचिव के पद पर भी तैनात रह चुके हैं और दो साल पहले वापस मध्य प्रदेश गए थे. मध्य प्रदेश मे नई सरकार बनने पर इनका भविष्य भी अधर मे लटक सकता है. क्योंकि आम तौर पर यह देखा जाता है कि जो भी नई सरकार बनती है वो अपने हिसाब से अहम पदों पर तैनाती करती है.