नई दिल्लीः मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार की कर्ज माफी योजना की वाहवाही जहां राहुल गांधी कर रहे है वहीं प्रदेश के किसान इस योजना को लेकर भ्रम की हालत में है. वजह है कि इस योजना का क्रियान्वयन कैसे होगा उनके नियम क्या है ये साफ नहीं हुआ है. किसानों का कहना है कि यदि इस योजना से उनकी अपेक्षाएं पूरी नहीं की गयीं और ज्यादा शर्ते लगाई गईं तो नाराजगी में लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को हरा कर ही दम लेंगे.


बैंकों के बाहर किसानों की भीड़
भोपाल से बाहर रातीबड गांव हैं जहां की बैंक के बाहर किसानों की भीड़ लगी हुई है. इन्हीं किसानों में से हैं ओंकार आदिवासी जिनके पास सिर्फ दो एकड़ ही जमीन है और उस पर चालीस हजार रुपये का कर्ज है. ओंकार को जैसे ही पता चला कि कर्ज माफ होने वाला है वो बैंक दौड़े आए हैं. किसानों की भीड़ में टीलाखेड़ी गांव के मुकेश विश्वकर्मा भी हैं जिनके किसान क्रेडिट कार्ड पर एक लाख चालीस हजार रुपये का कर्ज है. वो भी बैंक के चक्कर लगा रहे हैं कि कब ये कर्ज कटेगा.


कर्जमाफी से 34 लाख किसानों को फायदा मिलेगा
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पद संभालते ही जो पहली फाइल पर दस्तखत किये वो किसानों की कर्ज माफी की थी जो कांग्रेस के चुनाव अभियान का खास हिस्सा भी थी. फिलहाल इस योजना को कैसे सरकार लागू करेगी उसकी कार्ययोजना बनायी जा रही है जिसे कमलनाथ अपनी पहली कैबिनेट बैठक में रखेंगे. समझा जा रहा है कि इस योजना से 34 लाख किसानों को राहत मिलेगी मगर इससे सरकारी खजाने पर 35 से 38 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.


आंकड़ों में इसे समझें तो
मध्य प्रदेश के किसानों पर कुल 99,393 करोड़ रुपये का कर्ज है. जिसमें से 75,823 कृषि से जुडा कर्ज है. प्रदेश में 21 सरकारी बैंक हैं जिन्होंने किसानों को 33,446 करोड़ का कर्ज दिया है तो 38 जिला सहकारी बैंकों ने 29371 करोड़ का कर्ज दिया है. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का किसानों पर कर्ज भी 6910 करोड़ रुपये है. इस सबके अलग प्रदेश में कृषि लोन को लेकर 8908 करोड़ का एनपीए है.


एबीपी न्यूज को मिली जानकारी के मुताबिक सरकार कर्ज माफी के लिये एक ऑनलाइन पोर्टल बनायेगी जिसमें किसानों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसमें आधार कार्ड की बाध्यता होगी. ताकि किसान को एक ही बैंक के कर्जे का फायदा मिले. इस योजना में कृषि भूमि रखने वाले सरकारी कर्मचारी, आयकरदाता किसान और 15 हजार रुपये से ज्यादा की पेंशन वालों को दूर रखा जायेगा. साथ ही यदि किसी किसान के दो जगह कर्ज हैं तो एक बैंक का ही कर्ज माफ होगा. साथ ही कर्जे की तारीख अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2018 तक रखी गई है इसके बाद के कर्ज पर विचार नहीं होगा. और यही बात किसानों को आंदोलित कर रही हैं.


प्रदेश के बैंक अधिकारी भी कर्ज माफी की चुनौती से कैसे निपटें इस काम में लग गये हैं. कर्जे वाले किसानों की सूची बनाना और उनमें दोहराव ना हो इसके लिये साफ्टवेयर बनाये जा रहे हैं. प्रदेश के लीड बैंकर का कहना है कि ये बड़ी चुनौती है मगर हम पार पा लेंगे.


उधर सरकार के सामने चुनौती है कि कैसे इतने बडे भार को बर्दाश्त करे. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पैसे जुटाने के लिये आंध्र प्रदेश का मॉडल उपयोग किया जायेगा जिसमें सरकार बैंकों को बॉन्ड बेचेगी और राशि जुटायेगी. हालांकि जानकार मान रहे हैं कि ये योजना सरकार के लिये दुखदायी साबित भी हो सकती है क्योंकि मप्र सरकार पर डेढ़ लाख करोड़ का कर्ज है जो विभिन्न बैकों से लिया गया है.


कमलनाथ सरकार ने किसानों की कर्ज माफी का ऐलान कर वाहवाही तो लूट ली है मगर इस योजना के क्रियान्वयन में जरा सी ढील किसानों को सरकार के खिलाफ कर देगी जिसका खामियाजा लोकसभा चुनावों में चुकाना पड़ जायेगा.


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